हिंदुस्तान के बारे में मशहूर था कि यहां घी-दूध की नदियां बहती थीं। हिंदुस्तान के बारे में तो नहीं, हां राजस्थान और उसमें भी अजमेर को लेकर यह बात खरी उतर रही है। अजमेरवासी वर्तमान में इस बात को लेकर फिर गर्व का अनुभव कर सकते हैं कि दूध व दूध उत्पाद सरप्लस चल रहे हैं। इन दिनों अजमेर समेत प्रदेश भर में दूध और दूध से बने उत्पादों की बहुतायत बनी हुई है। अकेले दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियों पर ही अजमेर में प्रतिदिन की खपत के बाद हर महीने करीब 60 लाख लीटर दूध सरप्लस हो रहा है। प्रदेश भर में हर महीने का आंकड़ा 3 करोड़ 60 लाख लीटर दूध सरप्लस पहुंच रहा है।
- राजस्थान के पुराने और अनुभवी सहकार नेता अजमेर डेयरी के अध्यक्ष रामचंद्र चौधरी से जानकारी चाही तो उन्होंने कई रोचक जानकारी दी। उन्होंने कहा कि अजमेर में प्रतिदिन 2 लाख लीटर दूध की खपत है। लेकिन अभी जिले में प्रतिदिन 4 लाख लीटर दूध का प्रोडक्शन हो रहा है। इस हिसाब से रोजाना 2 लाख लीटर दूध सरप्लस चल रहा है। यह हर महीने पहुंच रहा है करीब 60 लाख लीटर।
- इसी तरह प्रदेश भर में सहकारी समितियों के माध्यम से करीब 37 लाख लीटर दूध प्रतिदिन का उत्पादन हो रहा है। इसमें से 25 लाख लीटर दूध प्रतिदिन की खपत हो रही है और रोजाना 12 लाख लीटर दूध सरप्लस चल रहा है। ऐसे में हर महीने 3 करोड़ 60 लाख लीटर दूध की बहुतायत हो रही है।
इन 4 महीनों में ज्यादा आवक
डेयरी अध्यक्ष चौधरी के अनुसार अक्टूबर से ही दूध की आवक अधिक रहती है। जनवरी-फरवरी तक दूध सीजन माना जाता है। भैंस और गाय का ब्यावन का सीजन होता है। पशु दूध खूब देते हैं। ऐसे में दूध की मात्रा यकायक बढ़ जाती है। गर्मी में दूध में कमी आ जाती है।
अब मिड-डे-मील में होगी खपत
आम दिनों की खपत के बाद बच रहे दूध को खपाने के लिए सहकारी समितियों के आग्रह पर राज्य सरकार ने स्कूलों में दूध को मिड डे मील में शुरू करने की घोषणा बजट में कर दी है। इसके लिए डेयरी अध्यक्ष रामचंद्र चौधरी राज्य सरकार से पिछले तीन सालों से आग्रह कर रहे थे। इस बार सरकार ने कर्नाटक, मध्य प्रदेश और केरल की तर्ज पर ही राजस्थान में भी मिड डे मील में दूध की शुरूआत करने का निर्णय किया है। माना जा रहा है कि करीब 5 हजार लीटर दूध प्रतिदिन मिड डे मील में खपाने की तैयारी की जा रही है। अब सरकारी स्कूलों के बच्चों को भी दूध के रूप में सही पोषण आहार मिल सकेगा। जल्द ही तय किया जाएगा कि अजमेर में कितना लीटर दूध या अन्य उत्पाद स्कूलों को दिए जाएंगे। इसके बारे में राज्य स्तर पर प्रस्ताव तैयार किए जाएंगे।
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