पंचायतराज :अब स्टाम्प पर लिखी शिकायत पर ही होगी जांच

( 12974 बार पढ़ी गयी)
Published on : 07 Mar, 18 11:03

झूठी शिकायतें करना अब शिकायतकर्ताओं को महंगा पड़ेगी।

पंचायत राज विभाग ने दो दिन पहले निर्देश जारी कर कहा है कि बिना स्टांप के आने वाली शिकायतों की जांच नहीं होगी। स्टांप भी अब 10 रुपए की बजाय 50 रुपए का देना होगा। तीन जनवरी को 10 रुपए के स्टांप का नियम किया गया था लेकिन फरवरी के अंतिम सप्ताह में 50 रुपए का नॉन ज्यूडिशियल स्टांप के साथ शिकायत देनी जरूरी हाे गई। शिकायतकर्ता का दूरभाष नंबर भी अनिवार्य होगा। शिकायत आने के बाद पहले शिकायतकर्ता की पहचान होगी। उसके बाद उसकी शिकायत पर जांच होगी। अगर शिकायत झूठी पाई गई तो शिकायतकर्ता के खिलाफ गलत हलफनामा देने का आपराधिक मामला भी दर्ज किया जाएगा। ये आदेश हाल ही में जारी हुए हैं इसलिए अब बिना स्टांप वाली शिकायतें रद्दी की टोकरी में डाली जाएंगी। भले ही शिकायत सही हो लेकिन उस पर अधिकारिक रूप से कोई कार्रवाई नहीं होगी।
झूठी और व्यक्तिगत रंजिश के कारण होने वाली शिकायतों को रोकने के लिए ये कदम उठाया गया है। झूठी शिकायतों में कुछ नहीं निकलता उलटा समय और धन व्यय होता है। इसे रोकने के लिए स्टांप का प्रावधान किया गया है। अगर शिकायत सच है तो उस जांच होगी और कार्रवाई भी। राजेन्द्र राठौड़,पंचायती राज मंत्री
स्टांप में संशोधन
सीएम पोर्टल के लिए स्टांप जरूरी नहीं
पंचायती राज विभाग में अधिकारियों को या डाक से शिकायत भेजने पर तो स्टांप देना होगा लेकिन सीएम पोर्टल पर शिकायत के लिए ऐसे कोई नियम नहीं होंगे। वहां कोई भी शिकायत अपलोड कर सकता है और उस पर त्वरित कार्रवाई भी होती है।
10 रुपए के बजाय देना होगा 50 रुपए का स्टांप
सांसद,विधायक और सरपंच को छूट
शिकायत के लिए स्टांप देने के लिए सांसद, विधायक और सरपंच को स्टांप पर शिकायत देने से छूट दी गई है। ये तीनों ही बिना स्टांप के शिकायत कर सकते हैं और उस पर जांच होगी।
क्यों हुआ ये निर्णय
आमजनों के विरोध और विधानसभा में हंगामा होने के बाद सरकार को अफसर और नेताओं को बचाने वाले बिल को वापस लेना पड़ा। ऐसे में सरकार ऐसे हथकंडे अपना रही है नेता और अधिकारियों के खिलाफ कम से कम जांच करनी पड़े। इसके अलावा पंचायती राज विभाग में ग्राम पंचायत स्तर तक संस्थाएं हैं। ऐसे में व्यक्तिगत संबंधों के कारण हर विपक्षी पार्टी शिकायतें करती है। जांच न होने पर सरकार पर मिलीभगत का आरोप लगता है। अधिकारी-कर्मचारी झूठी शिकायतों की जांचों में जुटा रहता है। 40 प्रतिशत शिकायतों के तथ्य सही नहीं पाए जाते। ऐसे में झूठी शिकायतों को कम करने के लिए ये तरीका अपनाया गया है।

साभार :


© CopyRight Pressnote.in | A Avid Web Solutions Venture.