बीजेपी को हराने के लिए साथ आ सकती हैं सपा-बसपा

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Published on : 04 Mar, 18 12:03

उत्तर प्रदेश की दो लोकसभा सीटों के लिए होने वाले उपचुनाव में बीजेपी को हराने के लिए समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी एक दूसरे से हाथ मिला सकती हैं।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी की एकतरफा जीत से सबसे ज्यादा घाटे में रहीं बसपा प्रमुख मायावती आगामी उपचुनाव में बीजेपी से मुकाबला करने के लिए बड़ा फैसला ले सकती हैं। यूपी की गोरखपुर और फुलपूर लोकसभा सीट पर 11 मार्च को उपचुनाव होना है। इन दोनों ही जगहों से बसपा ने अपने उम्मीदवार नहीं दिए हैं। लेकिन बसपा इन दोनों सीटों पर अपना समर्थन किसी पार्टी को देने का अहम फैसला ले सकती है। हालांकि, सूत्रों के अनुसार बसपा ने गोरखपुर और फूलपुर सीट से सपा के प्रत्याशियों के समर्थन का फैसला ले लिया है। लेकिन अभी इसका औपचारिक ऐलान नहीं किया गया है। इस बारे में अंतिम फैसला लेने और रणनीति बनाने के लिए 4 मार्च को लखनऊ में पार्टी की बैठक बुलाई गई है। इस बैठक में पार्टी के दोनों मंडलों के कोआर्डिनेटर्स के साथ चर्चा होनी है, जो बताएंगे कि जमीनी स्थित क्या है। कयास लगाए जा रहे हैं कि इस बैठक के बाद दोपहर तक पार्टी सुप्रीमो मायावती औपचारिक रूप से सपा उम्मीदवारों के समर्थन का ऐलान कर सकती है।हालांकि, ये भी कहा जा रहा है कि मायावती सीधे तौर इसकी घोषणा ना करें और स्थानीय स्तर के नेताओं से घोषणा करवाएं। सूत्रों के अनुसार, पार्टी में पहले भी उपचुनाव में किसे समर्थन दिया जाए, इसको लेकर चर्चा हो चुकी है। लेकिन सपा-बसपा के बीच पुरानी खटास की वजह से इसपर फैसला नहीं हो सका है। लेकिन सपा की कमान अब अखिलेश यादव के हाथों में है और वे लंबे समय से बसपा के साथ गठबंधन की बात करते रहे हैं। वहीं, बसपा के भी कुछ स्थानीय नेताओं का मानना है कि अगर पार्टी खुद चुनाव नहीं लड़ रही है तो उसे किसी ना किसी को समर्थन देना चाहिए और जनता के बीच जाना चाहिए। वर्ना ये तो पूरी तरह से मैदान छोड़ने वाली बात हो जाएगी। कार्यकर्ता और नेता कुछ भी कहें, सभी को पता है कि बसपा में मायावती ही अंतिम फैसला करेंगी। ऐसे में सबकी निगाहें लखनऊ की बैठक पर लगीं हैं।मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के इस्तीफे के बाद खाली हुई गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीट पर 11 मार्च को मतदान होना है और 14 मार्च नतीजे आएंगे। 2014 के लोकसभा चुनाव में इन दोनों सीटों पर बीजेपी ने जीत हासिल की थी। गोरखपुर वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की परंपरागत सीट मानी जाती है। ऐसे में ये उपचुनाव उनके और मौर्या के लिए भी प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया है। इसीलिए बीजेपी ने इन दोनों सीटों पर अपने उम्मीदवरों के चयन में जातीय समीकरण का पूरा ख्याल रखा है।बीजेपी ने फूलपुर उपचुनाव में भाजपा ने वाराणसी के पूर्व महापौर कौशलेंद्र सिंह पटेल को प्रत्याशी बनाया है, वहीं सपा ने नागेंद्र प्रताप सिंह पटेल को और कांग्रेस ने वरिष्ठ नेता जेएन मिश्र के पुत्र मनीष मिश्र को चुनाव मैदान में उतारा है। दूसरी ओर, योगी आदित्यनाथ के इस्तीफे के बाद खाली हुई गोरखपुर लोकसभा सीट से बीजेपी ने क्षेत्रीय अध्यक्ष उपेंद्र दत्त शुक्ला को उम्मीदवार बनाया है। पूर्वांचल में उपेंद्र दत्त शुक्ला की पहचान एक बड़े ब्राह्मण चेहरे के रूप में है और कार्यकर्ताओं में उनकी अच्छी पकड़ है। वहीं, सपा ने यहां निषाद पार्टी और पीस पार्टी के साथ गठबंधन के तहत निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय निषाद के बेटे इंजीनियर प्रवीण कुमार निषाद को मैदान में उतारा है। वहीं कांग्रेस ने डॉ. सुरहिता को अपना प्रत्याशी घोषित किया है। जबकि बसपा ने अपना उम्मीदवार नहीं देने का फैसला किया है।
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