संतो के सरताज थे आचार्य महावीर कीर्ति महाराज

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Published on : 28 Feb, 18 11:02

उदयपुर। अश्टान्हिका पर्व में सिद्ध चक्र मण्डल विधान की आराधना के साथ आज फाल्गुन शुक्ल एकादशी के दिन अंकलीकर परम्परा के पट्टाचार्य आचार्य माहवीर कीर्ति महाराज का दीक्षा दिवस आचार्य सुनील सागर महाराज के सानिध्य में धूमधाम से मनाया गया।
आचार्य सुनील सागर महाराज ने कहा कि आचार्य महावीर कीर्ति महाराज संतो के सरताज थे क्योंकि उनके जैसे संत बनना हर किसी के बस की बात नहीं है। वे बचपन से ज्ञानी, गंभीर,धीर सिंह वृत्ति वाले थे जिनका पूर्व नाम महेन्द्रसिंह था। बचपन से साधु बनने तक तंत्र,मंत्र,विज्ञान,ज्योतिश हर क्षेत्र का पूरा ज्ञान अर्जित कर लिया था। उन्हने बडे-बडे साधु-आर्यिकाओं को उन्हने पढाया। जिसमें आर्यिका ज्ञानमति माताजी भी एक है। जिन संतो पर आचार्य का हाथ रहा आज वे समाज में ज्ञान की अलख जगाते हुए चमक रहे है।
सन्मतिसागर महाराज ने सतत ८ वर्ष तप,साधना व अध्ययन किया और बाद में उन्हें महावीर कीर्ति जी का पट्टधर आसीन किया। आचार्य महावीर कीर्ति महाराज १८ भाषाओं के ज्ञाता थे।

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