यदि आपका मन नहीं थका है तो आप भी नहीं थकेंगे - नवनाथ गायक्वाड

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Published on : 25 Feb, 18 17:02

”सेल्फ माईन्ड डेवलपमेन्ट“ विषय पर यूसीसीआई में सेमिनार का आयोजन

यदि आपका मन नहीं थका है तो आप भी नहीं थकेंगे - नवनाथ गायक्वाड उदयपुर, ”आपकी कम्पनी को आपकी जरुरत नहीं है। आप स्वयं की जरुरतों को पूरा करने के लिये कम्पनी की नौकरी करते हैं। यदि आपको वर्तमान वेतन से ज्यादा की नौकरी मिल रही है तो तुरंत यह कम्पनी छोड दें अन्यथा खुशी के साथ कम्पनी में अपना काम करते रहें। धन के प्रति अपना सोचने का तरीका बदलें, तभी खुश रह सकेंगे। यदि पैसे से खुशी मिलती तो धनवान लोग सबसे ज्यादा खुश होते। पर सच्चाई यह है कि साईकिल सवार के आंसू सबको दिखाई देते हैं मगर कार में बैठे धनवान के नहीं।“
उपरोक्त विचार श्री नवनाथ गायक्वाड ने यूसीसीआई में व्यक्त किये।
उदयपुर चेम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इण्डस्ट्री द्वारा चेम्बर भवन के पी.पी. सिंघल ऑडिटोरियम में ”सेल्फ माईन्ड डेवलपमेन्ट“ विषय पर सेमिनार का आयोजन किया गया।
कार्यशाला में पूना के ट्रेनर श्री नवनाथ गायक्वाड ने प्रतिभागियों को उपरोक्त विषय पर प्रशिक्षण प्रदान किया। कार्यशाला में यूसीसीआई के वरिष्ठ सदस्यों के साथ-साथ बडी संख्या में युवा सदस्यों ने भाग लिया।
सेमिनार में सम्मोहन विद्या का प्रैक्टिकल प्रयोग कुछ प्रतिभागियों पर करते हुए श्री नवनाथ गायक्वाड ने बताया कि मस्तिष्क को स्वयं के नियंत्रण में रख कर ही जीवन में उत्कृष्टता प्राप्त की जा सकती है। श्री गायक्वाड ने बताया कि सम्मोहन एक मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया है किन्तु सभी को सम्मोहित नहीं किया जा सकता। सम्मोहित होने के लिये व्यक्ति की स्वयं की इच्छा होनी चाहिये, मन की एकाग्रता हो तथा ग्रहण करने की क्षमता होनी चाहिये।
तनाव पर चर्चा करते हुए श्री नवनाथ गायक्वाड ने कहा कि परिस्थितियों के प्रति हमारे नजरिये से ही तनाव उत्पन्न होता है जो कि न केवल हमारे स्वयं के स्वास्थ्य के लिये हानिकारक है अपितु दूसरों के लिये भी नुकसानदायक साबित होता है। तनाव को दूर करने के लिये स्वयं को भीतर से इतना शक्तिशाली बनाना चाहिए कि तनाव के कारण को समझकर उसे दूर किया जा सके। श्री नवनाथ गायक्वाड ने कहा कि परिस्थितियों से सही प्रकार से तालमेल नहीं बैठा पाने, मानसिक अर्न्तद्वन्द्व तथा अन्य कारणों से जो तनाव उत्पन्न होता है उसे निम्न छोटे-छोटे उपाय अपनाकर दूर किया जा सकता है ः
(१) अपने हाथ की मुठ्ठी बांधकर जोश के साथ ”यस“ बोलें
(२) चुटकी बजायें
(३) हाथ से बाल ठीक करें
(४) दिल से हंसें
(५) नृत्य करें

सेमिनार के दौरान श्री नवनाथ गायक्वाड द्वारा बताये गये मुख्य बिन्दु ः
६० से ७० प्रतिशत बीमारियां मन से सम्बन्धित होती है।
यदि निष्क्रीय रहे हैं तो ४० की उम्र के उपरान्त कसरत शुरु नहीं करें
दिमाग को आराम की नहीं बल्कि रिफ्रेश करने की जरुरत होती है।
हमेशा सकारात्मक एवं उर्जा से भरपूर बने रहे।
चीजों के प्रति अपने नजरिये में बदलाव लाना हमारे अपने हाथ में है।
जिन्दगी का कोई भरोसा नहीं है, इसलिये जब तक जियो - तब तक हंसो और खुश रहो।

कार्यक्रम के आरंभ में यूसीसीआई के अध्यक्ष श्री हंसराज चौधरी ने विषय-विशेषज्ञ का परिचय प्रस्तुत किया तथा प्रतिभागियों की कार्यक्रम के प्रति रूचि देखते हुए इस प्रकार के कार्यक्रम भविष्य में आयोजित किये जाने का आश्वासन दिया। सेमिनार में पूर्वाध्यक्ष श्री पी.एस. तलेसरा तथा श्री चैतन्य कोचर ने भी विचार रखे।

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