लोकानुरंजन मेले के दूसरे दिन रंगारंग प्रस्तुतियाँ

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Published on : 24 Feb, 18 11:02

 लोकानुरंजन मेले के दूसरे दिन रंगारंग प्रस्तुतियाँ उदयपुर । भारतीय लोक कला मण्डल के ६७वें स्थापना दिवस पर दी परफोरमर्स संस्था के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित लोकानुरंजन मेले के दूसरे दिन देष के विभिन्न क्षेत्रों से आए लोक कलाकारों ने रंगारग प्रस्तुतियाँ दी ।
कार्यक्रम के आरम्भ में संस्था के मानद सचिव, रियाज तहसीन ने मुख्य अतिथि- श्री रवीन्द्र श्रीमाली-चैयरमैन, नगर विकास प्रन्यास का स्वागत किया एवं संस्थापक पद्मश्री देवीलालजी सामर सा. की प्रतिमा पर माल्यापर्ण एवं दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम प्रारम्भ हुआ ।

निदेषक डॉ. लईक हुसैन ने बताया कि स्थापना दिवस के अवसर पर दिंनाक २२ से २४ फरवरी तक चलने वाले लोकनुरंजन मेले में भारत के विभिन्न क्षेत्रों से आये लोक कलाकारों ने कार्यक्रम के दूसरे दिन अपने अनोखें संस्कृति वैभव से दर्षकों को रूबरू कराया।

उन्होने बताया की कार्यक्रम की षुरूआत बाडमेर जिले से आये लोक कलाकार बुन्दु खां लंगा ने हिचकी लोक गीत से की और दर्षकों की वाह-वाही लूटी। पंजाब से आए अमरीन्द्रर सिंह ने भारत के ग्रामीण मेले के परिदृश्य को प्रस्तुत करने वाला जिन्दवा तथा प्रसिद्ध भंागडा नृत्य प्रस्तुत किया। भरतपुर से आये कलाकरों ने ब्रज की रासलीला को मयूर नृत्य के माध्यम से बहुत ही सुन्दर तरीके से प्रस्तुत किया । अलवर जिले के कलाकार महमूद खां और दल ने पारम्परिक लोक वाद्य भपंग गायन- वादन की प्रस्तती दी। जोधपुर से आयी सीमा कालबेलिया ने राजस्थानी कालबेलिया जाति के द्धारा किया जाने वाला कालबेलिया नृत्य प्रस्तुत किया । बाडमेर के बालोतरा से आये कलाकारों ने अपनी रंगारंग लाल रंग की पोशक में गैर नृत्य प्रस्तुत किया । हरियाणा राज्य से आये सलीम और उनके दल ने हरियाणा राज्य के ग्रामिण क्षेत्रों म पारम्परिक रूप से किये जाने वाला घूमर नृत्य प्रस्तुत किया। सुरेष भाई और उनके दल ने डांग नृत्य की बहुत ही षानदार प्रस्तुति दी।
उत्तरांचल से षेखर जोषी और साथी कलाकारों ने छपेली लोक नृत्य की प्रस्तुति दी,, चेन्नई राज्य से आये लोक कलाकारों ने प्रसिद्ध लोक नृत्य कावडी कड गम की प्रस्तुती दी लोक नृत्य की षानदार प्रस्तुति को देख कर दर्शक झूम उठे ।

षिल्प मेले को भी दर्षकों ने काफी पंसद किया देष के विभिन्न क्षेत्रों से आये षिल्पीयों में मुख्य रूप से (उ.प्र.) की बनारसी साडी, कोटा की कोटा डोरिया साडी, जयपुर के पत्थरों के आभूशण, आसाम की षिल्प वस्तुऍ, पष्चिमी बंगाल की बॉटिक कला, मोलेला (राजसमन्द) के मिटृी के खिलोने, पंजाब की जूतियॉ, गाजियाबाद की सींग और हड्डी से बनी वस्तुएं, जयपुर की लाख की चूडया, प. बंगाल के बम्बू और ड्राय फ्लावर, जयपुर की ब्लोक प्रिंट आदि प्रमख आकर्शण का केन्द्र है।

संस्था के मानद सचिव रियाज तहसीन ने बताया की ये आयोजन कला एवं संस्कृति विभाग-राजस्थान सरकार, राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय-नई दिल्ली, संगीत नाटक अकादमी-नई दिल्ली, राजस्थान संगीत नाटक अकादमी-जोधपुर, गुजरात संगीत नाटक अकादमी-गांधी नगर, भाषा एवं संस्कृति विभाग- तेलंगाना सरकार, उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र-पटियाला, उत्तर-मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र-इलाहाबाद, दक्षिण क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र-तन्जावुर, युवक सेवा एवं सास्कृतिक प्रवृति विभाग, गुजरात सरकार, दि परफोरमर्स- उदयपुर के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है यह भी ज्ञात रहे कि उक्त मेले की षुरूआत भारतीय लोक कला मण्डल के संस्थापक पद्मश्री देवीलाल सामर ने की थी।






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