डॉ विजयलक्ष्मी ने अपनी मातृृभूमि के श्रोताओं को अपनी गायकी से अभिभूत कर दिया

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Published on : 23 Feb, 18 12:02

डॉ विजयलक्ष्मी ने अपनी मातृृभूमि के श्रोताओं को अपनी गायकी से अभिभूत कर दिया प्रतापगढ़,। राजस्थान संगीत नाटक अकादमी, जोधपुर एवं नटराज इवेन्ट संस्थान बांसवाड़ा के संयुक्त तत्वावधान में शहर में पहली बार शास्त्राीय एवं सुगम संगीत का दो दिवसीय यादगार आयोजन हाऊसिंग बोर्ड स्थित सामुदायिक भवन में बुधवार को सम्पन्न हुआ।
इस अवसर पर दूसरे दिन उदयपुर से आई देश की ख्यातनाम टीवी एवं रेडियों एव माड गायिका डॉ विजयलक्ष्मी दवे ने राग मधुवन्ति से त्रिताल पर ’माने सखी मोरा कान्हा से अपने गायन की जानदार शुरूआत की तथा राग यमन में ’अरि एरि आलि पिया बिना’ बदिश प्रस्तुत की तथा यमन राग में बने अनेक लोकप्रिय फिल्मी गीतों की पंक्तियां को सुनाते हुए संगीत के वातावरण को अवस्मरणीय बना दिया, लेकिन जब डॉ विजयलक्ष्मी ने चैती मिश्र पहाड़ी राग के माध्यम से ’चेत मास बोले रे कोयलिया’ से सुधि श्रोताआं को अभिभूत कर दिया तो पीलू राग मे भजन ’देखों री सखी एक बाला जोगी द्वारे म्हारे आयो रे’ सुनाकर सबको भक्ति रस में डूबो दिया। लगातार सवा घंटे से अधिक समय तक गाते हुए जब राग मिस्त्रा में ’होली मे तो खेलूगी उन्हीं से होरी रे गुईया’ से श्रोताआंे को होली के रंग से सरोबार कर दिया। आगन्तुको की विशेष फरमाईश पर राग भैरवी में ’मिले सुर मेरा तुम्हारा’ सुनाकर सबका मन जीत लिया। वही ’आज जाने की जिद ना करो, की प्रस्तुती दी। समय की मर्यादावश श्रोताओं की मांग के बाद भी डॉ विजयलक्ष्मी को और सुनने की इच्छा अतृप्त रह गई।
इसके साथ ही सरदारशहर से आए लोक प्रिय सुगम संगीत गायक बी एस नागौरी ने अपने मोहक गीत गजल सुनाकर श्रोताओं को आंनदित कर दिया। उन्हांने ’रुह जब बज्द़ में आए तो गजल होती है’ तथा ’दिल मे एक लहर उठी है अभी’, ’आप जिनके करीब होते है’, ’हम तेरे शहर में आए है’ तथा चुपके-चुपके रात दिन सुनाकर आयोजन को सफलता का शिखर प्रदान किया।
सरगम विजन सोसायटी, आनंद एकेडमी एवं सीएमएसएस द्वारा डागर सम्मान से सम्मानित डॉ विजयलक्ष्मी दवे का शास्त्राीय, माड गायिकी एवं सुगम संगीत मे अप्रतिम योगदान के लिए समारोह के मुख्य अतिथि नगर परिषद सभापति कमलेश डोसी, अध्यक्ष अजय राठौर एवं संरगम विजन सोसायटी के उपाध्यक्ष जाकिर हुसैन व पार्षद नीना सालगिया तथा संस्था के सदस्य ने डॉ विजय लक्ष्मी दवे का संगीत साधना के लिए सम्मान स्वरूप उपरना, शॉल, श्रीफल, अभिनंदन पत्रा व स्मृृति चिन्ह प्रदान कर कांठलवासियों की और से नागरिक अभिनंदन किया गया। अभिनंदन पत्रा का वाचन कवि चन्द्रप्रकाश द्विवेदी ने किया एवं कार्यक्रम का मोहक संचालन कवि गीतकार हरीश व्यास ने किया तथा साथ ही बी एस नागौरी एवं अपने साजो की संगत से रंगत जमाने वाले कलाकारों में आरगन पर रितेश पंवार, आक्टोपेड पर मास्टर सद्् भाई, वायलिन पर माधव भाई, तबले पर नयन नागर व ईवेन्ट संस्थान के अध्यक्ष घनश्याम जोशी को स्मृृति चिन्ह भेंट कर अतिथि द्वारा सम्मानित किया गया।
अतिथि द्वारा दीप प्रज्जवलन व सरस्वती पूजा के साथ आरंभ हुए कार्यक्रम में मेहमानांे एवं कलाकारो का स्वागत भरत व्यास, संध्या व्यास, मदन वैष्णव, राकेश सोनी, शत्राुघ्न शर्मा व श्रीमती पाठक ने किया। आभार भरत व्यास ने व्यक्त किया।

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