नाटक द जू स्टोरी का मंचन

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Published on : 22 Feb, 18 14:02

नाटक द जू स्टोरी का मंचन उदयपुर , भारतीय लोक कला मण्डल, उदयपुर व राजस्थान संगीत नाटक अकादमी, जोधपुर के संयुक्त तत्वाधान में आज द जू स्टोरी नामक नाटक का मंचन भारतीय लोक कला मण्डल में हुआ।
संस्थान के मानद सचिव श्री रियाज तहसीन ने बताया कि दिनांक २१.०२.२०१८ को भारतीय लोक कला मण्डल व राजस्थान संगीत नाटक अकादमी, जोधपुर के सयुक्त तत्वाधान में मासिक नाट्य प्रदर्षन योजनान्तर्गत द जू स्टोरी नामक नाटक का मंचन आज सायं ७.३० बजे से हुआ।
निदेषक डॉ. लईक हुसैन ने बताया कि भारतीय लोक कला मण्डल के मुक्ता काषी रंगमंच पर द जू स्टोरी नाटक का मंचन किया गया। जिसका निर्देषन रमेष भाटी नामदेव द्वारा किया गया है, उक्त नाटक को वर्श १९५९ में अमेरिकी लेखक एडवर्ड एल्बी द्वारा लिखा गया है, जिसका हिन्दी अनुवाद डॉ. हितेन्द्र गोयल के द्वारा किया गया है।
उन्होने यह भी बताया कि द जू स्टोरी नामक नाटक विवेकषून्य नाटक है जो तत्कालिन अमेरिका की चरमराती सामाजिक ढंाचे की व्यथा को ,उपजे- वर्गभेद, अस्तित्व वाद, सम्वादहीनता, अमानुशिक प्रवृति, आदमी में छिपे जानवर के पनपने को परिलक्षित किया है और इन्सानी विमुखता, संवेदहीनता, आत्मविनाष जैसी बुराईयों को उकेरा गया है, जो अक्सर युद्धों के बाद या बडे राजनैतिक बदलाव की उथल-पुथल से जन्य वैचारिक बदलावों से होता है। और आज के सामाजिक परिदृष्य में भी प्रासंगिक है।
नाटक की पृश्ठभूमि में यही सब दृष्यमान होता नजर आता है। न्युयॉर्क षहर का सेन्ट्रल पार्क, दो अन्जान पात्रों की अचानक मुलाकात, एक अन्तर्मुखी एक अति वाचाल, दोनो के बीच उलजलूल-निरर्थक संवाद, महानगरों में गौण होती पहचान, अकेलेपन और वर्गो के भेद द्वन्द है, जो हास्यास्पद परिस्थितियॉ बुनता है। धीरे-धीरे योजनानुसार जैरी नाम का पात्र खुद को सभ्य दर्षाते पीटर नाम के पात्र के भीतर छिपे जानवर को सींख्ाचों से बाहर ला खडा करता है।
लेखक एडवर्ड एल्बी द्वारा लिखा यह नाटक अभिनेता को अभिनय कौषल का भरपुर अवसर प्रदान करता है।
नाटक में संगीत परिकल्पना एवं संयोजन डॉ. एस.पी.रंगा मंच व्यवस्था व सहयोग षब्बीर हुसैन और कमलेष तिवारी मंच सज्जा आदि चन्दर सिंह व नाट्य परिकल्पना रमेष भाटी नामदेव द्वारा कि गई।
कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्थान के मानद सचिव श्रीमान रियाज तहसीन ने कि तथा विषिश्ट अतिथी वरिष्ठ रंग निर्देशक श्री भानु भारती थे । कार्यक्रम के अन्त में अतिथीयों ने षाल व माला पहना कर रंगकर्मीयों का स्वागत किया साथ ही अतिथियों एवं दर्षको ने प्रस्तुत नाटक की सरहाना की ।






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