गैर संक्रामक रोगों से हर साल डेढ़ करोड़ मौतें

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Published on : 18 Feb, 18 11:02

कोलकाता । विश्व में प्रति वर्ष 30 से 70 वर्ष की आयु के डेढ़ करोड़ लोगों की मौत गैर संक्रामक रोगों के कारण हो रही है और इनके पीछे तंबाकू सेवन, शराब पीना, अनियंत्रित और निष्क्रिय जीवन शैली जैसे कारक जिम्मेदार हैं। इस दिशा में गंभीरता से विचार करते हुए विश्व स्वास्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने आज एक उच्च स्तरीय आयोग के गठन की घोषणा की है जिसमें कई देशों के नेता, स्वास्य, विकास और उद्यमिता क्षेत्र के पेशेवर हैं जो लोगों को ऐसी बीमारियों से बचने के लिए जागरूक बनाएंगे। इस आयोग की सह अध्यक्षता उरूगवे के राष्ट्रपति तबारे वाजकुएज, श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाल श्रीसेना, फिनलैंड के राष्ट्रपति साउली निनिस्तो, रूसी स्वास्य मंत्री वेरिनिका स्कवोर्तसोवा और पाकिस्तान की पूर्व केंन्द्रीय मंत्री सानिया निस्तार करेंगी। यह आयोग गैर संक्रामक रोगों जैसे दिल की बीमारियों, कैंसर, फेंफड़ों के रोगों, मधुमेह और शराब से होने वाले रोगों के प्रति लोगों को जागरूक करेगा। एक अनुमान के अनुसार विश्व में प्रतिवर्ष दस में से सात मौतें इन्हीं रोगों के कारण हो रही हैं और इनके मुख्य कारक तंबाकू, शराब का सेवन, निष्क्रिय जीवन शैली और शारीरिक श्रम की कमी है। इनकी चपेट में अधिकतर निम्न आय वाले देशों के लोग आ रहे है और इनके कारण परिवारों पर अधिक भार पड़ने से समाज और अंतत: देश की आर्थिक प्रगति प्रभावित हो रही है। समय रहते इन रोगों की पहचान कर उनका इलाज संभव है, लेकिन इस दिशा में लोगों को इनके कारकों के प्रति जागरूक किया जाना सबसे बड़ी प्राथमिकता है। डॉ. वाजकुएज ने कहा कि गैर सक्रांमक रोग विश्व में लोगों के सबसे बड़े हत्यारे हैं और थोड़ी सावधानी बरत कर इनसे बचा जा सकता है, लेकिन लोगों को इनसे बचने के लिए नियंतण्र स्तर पर कुछ नहीं किया जा रहा है। उन्होंने कहा अगली पीढ़ियों को समय से पूर्व काल के गाल में समाने से रोकने और उन्हें बेहतर जीवनशैली के लिए हमें ही प्रयास करने होंगे और लोगों को तंबाकू, शराब, जंक फूड और अधिक चीनी युक्त खाद्य पदार्थो के सेवन से बचने के लिए जागरूक बनाना होगा। गैर संक्रामक रोगों के नियंतण्र दूत और आयोग के सदस्य माइकल आर ब्लूमबर्ग के मुताबिक विश्व इतिहास में पहली बार संक्रामक रोगों की तुलना में अधिक लोग गैर संक्रामक रोंगों जैसे दिल की बीमारियों, मधुमेह और निष्क्रिय जीवन शैली की वजह से मारे जा रहे हैं।


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