भूख, कुपोषण, गरीबी से मुक्ति के सतत प्रयास जरूरी : कोविंद

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Published on : 15 Feb, 18 11:02

कानपुर, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज कहा कि मानवता के संपूर्ण इतिहास में मानव विकास के लिए समुचित खादृा उत्पादन की व्यवस्था करना सदैव एक चुनौती रही है।
उन्होंने कहा कि प्राणी-मात्र के लिए भोजन जुटाने की एक बड़ी जिम्मेदारी आज भी कृषि वैज्ञानिकों के सामने मौजूद है। हालांकि आजादी के बाद हमारे कृषि उत्पादन में असाधारण वृद्धि हुईं है फिर भी भूख, कुपोषण और गरीबी से मुक्ति पाने के लिए लगातार प्रयास आवश्यक हैं।
आज शहर के चंद्रशेखर आजाद कृषि और प्रौदृाोगिकी विश्ववदृालय :सीएसए: में मौजूदा जलवायु परिवर्तन के विशेष परिपेक्ष्य में विकासशील देशों के छोटी जोत वाले किसानों के टिकाऊ विकास विषय पर चार दिवसीय एग्रीकोन 2018 अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में राष्ट्रपति ने कहा कि भारत सरकार की कृषि-नीति में किसानों के लिए उत्पादक तथा लाभकारी ऑन फार्म और नॉन फार्म रोजगार सृजित करने पर बल दिया जा रहा है।
नमामि गंगे कार्यांम की चर्चा करते हुए कोविंद ने कहा कि देश में सीख सके। उन्होंने सुझाव दिया कि महिलाओं के स्वयं-सेवी समूह बनाकर उन्हें इस प्रकार के काम के साथ जोड़ा जा सकता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि एक बहुत बड़ा क्षेत्र और भी है जिस पर ध्यान दिए जाने की जरूरत है। वह क्षेत्र हैपारंपरिक पौष्टिक भोजन का। स्थानीय जलवायु के अनुकूल, किफायती दाम पर मिलने वाला पारंपरिक भोजन हमारी थाली से गायब होता जा रहा है। उन्होने कहा कि जीवन-शैली से जुड़ी बीमारियों का एक बड़ा कारण यह भी है कि मौसमी और स्थानीय तौर पर सहज उपलब्ध खादृा-पदार्थो को छोड़कर आयातित और महंगे खादृापदार्थो का सेवन बढ़ता जा रहा है। मोटे अनाज का सेवन दिनों-दिन कम होता जा रहा है। पारंपरिक पौष्टिक भोजन को बढ़ावा देकर, ब्रांडिंग करके तथा तैयार भोजन को सही मूल्य पर बेचकर हम एक ओर तो घरेलू महिलाओं की आमदनी बढ़ा सकते हैं, वहीं दूसरी ओर देश के विकास में अपना योगदान दे सकते हैं। अपने गृह जनपद कानपुर की चर्चा करते हुए राष्ट्रपति ने पुरानी यादें ताजा की और कहा कि कानपुर ने स्वतंत्रता आंदोलन और उसके बाद के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाईं है।
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