अन्तः परजीवी मुक्त पशुपालन से आयवृद्धि विषय पर संगोष्ठी

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Published on : 15 Feb, 18 11:02

उदयपुर, पशुपालन प्रशिक्षण संस्थान में अन्तः परजीवी मुक्त पशुपालन से पशुपालको की आयवृद्धि विषय पर संगोष्ठी का आयोजन हुआ। उपनिदेशक डॉ. सुरेन्द्र छंगाणी ने बताया कि अन्तः परजीवियों के कारण पशुओं के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पडता हैं एवं प्रतिवर्ष पशुपालकों को करोडों रुपयो का नुकसान होता है। छंगाणी ने कहा कि पशु परजीवी पशुपालकों का आर्थिक शुत्र हैं। यह परजीवी पशुओं का रक्त चुसतें हैं एवं उनको को दिये जाने वाले पोषक तत्वों का स्वयं उपयोग करते हैं । इस कारण से पशुओं में एनीमिया,कमजोरी एवं उत्पादन में कमी आती है।
वरिष्ठ पशु चिकित्साधिकारी डॉ सुरेश शर्मा ने कहा कि पशुओं में कब्ज या बदबुदार दस्त होने पर अन्तः परजीवी होने की संभवाना प्रबल होती है। परजीवियो के कारण पशुओं में बाझंपन, नपुसंकता एवं बहुतायात होने पर पशुधन के नष्ट होने के प्रबल संभावना होती है। उपनिदेशक डॉ.राकेश पोखरना ने अन्तः परजीवी की रोकथाम पर विस्तृत जानकारी देते हुए कहां कि पशु के निरोग एवं स्वस्थ्य होने पर भी तीन माह मे एक बार पशुओं के पेट के कीडे मारने की दवा अवश्य देनी चाहिए। डॉ पोखना ने संक्रामक रोग से बचाव हेतु लगाये जाने वाले टीके से पूर्व भी डिवर्मिग कराने पर जोर दिया । इस अवसर पर पशुपालन डिप्लोमा कार्यक्रम के विद्यार्थियों ने भी अपने विचार रखें एवं इसके व्यापक प्रचार प्रसार करने की बात कही।
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