विद्यालयों की दीवारों पर मिलेगी बाल अधिकारों की जानकारी

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Published on : 14 Feb, 18 10:02

बाल अधिकार संरक्षण आयोग अध्यक्ष मनन चतुर्वेदी की पहल लाई रंग

बांसवाड़ा, बच्चों के बेहतर भविष्य की मंशा से राज्य के सभी राजकीय एवं निजी विद्यालयों की दीवारों पर बाल अधिकारों के संबंध में जानकारी उपलब्ध कराने की मंशा से राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष श्रीमती मनन चतुर्वेदी की पहल रंग लाई। माध्यमिक शिक्षा निदेशक नथमल डिडेल ने इस संबंध में राज्य के सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को आदेश जारी किए है। राज्य के समस्त राजकीय व गैर राजकीय विद्यालयों में बाल अधिकारों की जागरूकता के लिए विद्यालय परिसर स्थित दीवार पर बाल अधिकारों की जानकारी अंकित की जाएगी।
आयोग अध्यक्ष चतुर्वेदी ने 16 जनवरी 2018 को मुख्य सचिव एन.सी. गोयल को इस संबंध में पत्र लिखकर अवगत करवाया था कि राज्य के विभिन्न जिलों के राजकीय व निजी विद्यालयों के निरीक्षण दौरान बाल अधिकारों की जानकारी का अभाव पाया गया। इस कारण आयोग द्वारा राज्य के समस्त राजकीय/गैर राजकीय विद्यालयों में अध्ययनरत बालक/बालिकाओं को उनके अधिकारों से अवगत कराने एवं बाल अधिकारों की जागरूकता हेतु विद्यालय परिसर स्थित दीवार पर बाल अधिकारों के हनन से संबंधित किसी भी प्रकार की शिकायतों के समाधान तथा अधिनियमों की जागरूकता से संबंधित विवरण तैयार किया गया है। उन्होंने इस विवरण को विद्यालयों में अंकित करवाने का सुझाव दिया है। इस पर माध्यमिक शिक्षा निदेशक द्वारा आदेश जारी किए गए।
हेल्पलाइन नंबर भी होेगा अंकित
आयोग अध्यक्ष श्रीमती चतुर्वेदी ने बताया कि सभी विद्यालयों में राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के नम्बर, बाल कल्याण समिति, जिला कलेक्ट्रट के नम्बर, थाने पर नियुक्त बाल कल्याण अधिकारी के नम्बर भी अंकित होंगे। यह बच्चों के अधिकारों के संरक्षण व शिक्षा के साथ में सुरक्षित माहौल प्रदान करने की दिशा में सार्थक कदम है। राज्य के समस्त विद्यालयों में दीवारों पर लेंगिंग अपराधों, किशोर न्याय, निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार, बालश्रम निषेध, बाल विवाह अधिनियम, चाइल्ड हेल्प लाइन की विस्तृत जानकारी भी रहेगी।
दीवारों पर ये जानकारियां होगी अंकित:
उन्होंने बताया कि विद्यालयों की दीवारों पर बाल अधिकार संरक्षण के संबंध में जानकारियां उपलब्ध कराने के संबंध में आदेश जारी किए गए है। इस संबंध मंे लेंगिंग अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 की जानकारी में 18 वर्ष से कम आयु वर्ग के बालक बालिकाओं के साथ होने वाली यौन हिंसा की शिकायत पर आयोग की भूमिका के साथ अधिनियम किशोर न्याय (बालकों की देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम 2015 के अंतर्गत, 16 से 18 वर्ष तक के बालकों जघन्य अपराध करने की स्थिति में उन पर वयस्क के समान अभियोग चलाने की अनुमति प्रदान करता है, इनमें सम्बन्धित प्रकरणों की जाँच, निस्तारण उनकी देखभाल, संरक्षण, पुनः सामाजिक एकीकरण एवं पुनर्वास के लिए राज्य सरकार द्वारा किशोर न्याय बोर्ड का गठन करवाने संबंधित जानकारी होगी।
निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार,अधिनियम 2009 के अंतर्गत 6 से 14 वर्ष तक की आयु के बालक-बालिकाओं को प्रारम्भिक शिक्षा पूरी होने तक अपने आस-पास के विधालयों में निःशुल्क व अनिवार्य शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार के साथ बाल श्रम (निषेध व नियम) अधिनियम 1986 के अंतर्गत 14 वर्ष से कम आयु वाले बच्चों को किसी कारखाना,खान या अन्य किसी खतरनाक व्यवसाय पर काम करवाने पर दंडनीय अपराध की जानकारी भी होगी।।
उन्होेंने बताया कि बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 के अंतर्गत बाल विवाह के खिलाफ माता-पिता संरक्षक,बाल विवाह संचालित करवाने वाले पंडित सहित जो बाल विवाह में सम्मिलित होने वाले आरोपी है जिसकी जानकारी के साथ चाइल्ड हेल्प लाइन (1098) केंद्र सरकार की और से 24 घंटे चलाई जाने वाली चाइल्ड हेल्प लाइन 1098 की निःशुल्क सेवा 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के साथ होने वाले किसी भी प्रकार के अत्याचार, उत्पीडन, शोषण, यौन, हिंसा आदि की शिकायत की जा सकती है। यह भी दीवार पर अंकित होेगा।
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