खरीदी जाएंगी 7.50 लाख अत्याधुनिक रायफलें

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Published on : 14 Feb, 18 08:02

3282 करोड़ की लागत से खरीदी जाएंगी 7.50 लाख अत्याधुनिक रायफलें

इनमें सात लाख 40 हजार होंगी असाल्ट रायफलें5 हजार 719 स्नाइपर रायफलें 1819 करोड़ रपए से तीनों सेनाओं के लिए हल्की मशीन गन850 करोड़ रपए की लागत से नौसेना के लिए अत्याधुनिक तॉरपीडो पण्राली खरीदी जाएगीरक्षा खरीद परिषद ने दी 15, 935 करोड़ के सौदों को मंजूरी
सरकार ने तीनों सेनाओं को अत्याधुनिक हथियारों से लैस करने के लिए 13, 282 करोड़ रुपये की लागत से लगभग सात लाख 50 हजार अत्याधुनिक रायफलें खरीदने को मंजूरी दी है। रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमन की अध्यक्षता में आज यहां हुई रक्षा खरीद परिषद (डीएसी) की बैठक में लगभग 15 हजार 935 करोड़ रुपये के सौदों को मंजूरी दी गयी। इन सौदों में 12 हजार 280 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से तीनों सेनाओं के लिए सात लाख 40 हजार अत्याधुनिक असाल्ट रायफलें, सेना और वायु सेना के लिए 982 करोड़ रुपये की 5 हजार 719 स्नाइपर रायफलें, 1819 करोड़ रुपये से तीनों सेनाओं के लिए हल्की मशीन गन और 850 करोड़ रुपये की लागत से नौसेना के लिए अत्याधुनिक तॉरपीडो पण्राली खरीदी जाएगी। डीएसी ने पिछली बैठक में भी सेना के अग्रिम मोर्चे पर तैनात जवानों के लिए रायफलों, कारबाइन और हल्की मशीन गन की खरीद को मंजूरी दी थी। रक्षा सूत्रों के अनुसार असाल्ट रायफलों से तीनों सेनाओं के जवानों को लैस किया जायेगा और ये रायफलें ‘‘बॉय एंड मेक इंडियन’श्रेणी के तहत आयुद्ध फैक्ट्रियों तथा निजी क्षेत्र से खरीदी जायेंगी। सरकार ने तीनों सेनाओं के लिए असाल्ट रायफलों के साथ - साथ फास्ट ट्रैक प्रक्रिया से जरूर के अनुसार अत्याधुनिक हल्की मशीन गन खरीदने की भी मंजूरी दी है। ये मशीन गन खास तौर पर सीमाओं पर तैनात सैनिकों को दी जायेंगी। नौसेना के युद्धपोतों की पनडुब्बी रोधी क्षमता बढ़ाने के लिए एडवांस तॉरपीडो डिकॉय सिस्टम ‘‘ मारीछ’ की खरीद को मंजूरी दी गयी है। मारीछ पण्राली रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने देश में ही विकसित की है। इस पण्राली का गहन परीक्षण और जांच की गयी है जो पूरी तरह सफल रही है। यह पण्राली भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड द्वारा बनायी जायेगी। आतंकवादियों द्वारा सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाये जाने की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए सरकार के इस निर्णय को सैन्यकर्मियों को अत्याधुनिक हथियारों से लैस करने की दिशा में बड़े कदम के रूप में देखा जा रहा है जिससे कि सैन्यकर्मी इन हमलों को विफल कर सकें तथा इनका मुंहतोड़ जवाब दे सकें।
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