नन्हें-नन्हें बालकों की नृत्य प्रस्तुति देखकर दशर्क हुए अचम्भित

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Published on : 14 Feb, 18 07:02

नन्हें-नन्हें बालकों की नृत्य प्रस्तुति देखकर दशर्क हुए अचम्भित उदयपुर। द यूनिवर्सल सी.सै.स्कूल फतहपुरा का 22 वां वाशर्कोत्सव आज टाउनहॉल स्थित सुखाडया रंगमंच पर आयोजित किया गया। जिसमें समोर बाग स्थिन किड्स प्लेनेट के नर्सरी से लेकर द यूनिवर्सल स्कूल के 12 वी तक के 800 से अधिक बच्चों ने फिल्मी एवं देशभक्ति गीतों पर बी द इन्स्पिरेशन थीम पर रंगारंग प्रस्तुति दे कर हॉल में उपस्थित सैकडों दशर्कों को रोमांचित कर दिया।
समारोह के मुख्य अतिथि महापौर चन्द्रसिंह कोठारी,विश६ठ अतिथि उप निदेशक शवजी गौड, बह्म कुमारीज की रीटा बहन थी जबकि अध्यक्षता मधु सरीन ने की। सभी ने प्रारम्भ में मां सस्वती के चित्र् पर दीप प्रज्ज्वलित कर समारोह की शुरूआत की।
समारोह में बॉलीवुड के निर्देशक रमेश तिवारी, आशवाणी के सेवानिवृत्त अधिकारी माणिक आर्य,अपर पुलिस अधीक्षक अ८ोाक मीणा का विद्यालय के प्रबन्ध निदेशक संदीप सिंघटवाडया द्वारा सम्मान किया गया।
समारोह को संबोधित करते हुए मोनिका सिंघटवाडया ने बताया कि समारोह देश के बडे-बडे प्रेरणादायी जीवन के व्यक्तित्व वाले व्यक्तियों को समर्पित करते हुए बच्चों ने रंगांरग कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी।
विद्यालय की प्राचार्या मधु योगी ने बताया कि लता मंगेशकर, ख्यातनाम लोक गायिका तीजन बाई की जीवनी को पधारो म्हारे देस..,अमिताभ बच्चन की जहंा तेरी से नजर है...,कल्पना चावला की कुछ पोन की हो आस..,लुका छिपी बहुत हुई.., पर बच्चों ने दशर्नीय प्रस्तुति दे कर सभी दिल जीत लिया।
उप प्राचार्या शमशाद खान ने बताया कि सीनियर बच्चों ने वि८व के महान आईकोन चाणक्य को साम,दाम,दण्ड,भेद..,चार्ली चेपलिन को ओनली फनी.., मलाला ताई को मैं हूं,मैं थी, मैं रहूंगी.., खली को खून में है तेरे मिट्टी.., एयर होसटेज नीरजा को अंगुली पकड कर फिर से.., वि८वनाथ आनंन्द को कूकडू कू..,एम.एफ.हुसैन को खोल दे खोल दे दरवाजे..,बिरजू महाराज को तक धुन धुन.., माइकल जैक्सन को मैं हूं, मेरे जैसा कोई..., मदर टेरेसा को राह दिखा दे मैं कन हूं... ,स्वामी विवेकानन्द को खुदा कहंा बैठा ह तू..,कर्नल हारलैण्ड को जिंदा है सेहरा.., धीरू भाई अंबानी को आजमा अपनी किस्मत की बाजी.., पर संदेशात्मक प्रस्तुति देकर उपस्थित सभी दशर्कों का दिल जीत लिया।
इस अवसर पर विद्यालय के प्रबन्ध निदेशक संदीप सिंघटवाडया ने कहा कि वर्तमान में विद्यालयों में शक्षा के साथ-साथ अन्य प्रकार की गतिविधियां भी आयोजित होनी चाहिये ताकि बालक का मानसिक विकास साथ-साथ शारीरिक एवं बौद्धिक विकास भी हो सकें।

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