’’वर्तमान परिप्रेक्ष में समाज कार्य शिक्षा ः चुनौतियॉ व अवसर ‘‘ विषयक पर एक दिवसीय कार्यशाला

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Published on : 24 Jan, 18 10:01

छात्र अपने केरियर की शुरूआत गांवों से करें - प्रो. मिश्रा

उदयपुर छात्र छात्राओं को अपने केरियर में आने वाली हर कठिनाईयों का खुल कर सामना चाहिए व अपनी कमजोरियों को कभी छूपाना नहीं चाहिए बल्कि अपने लक्ष्य पर टीके रहेंगे तो अपको सफल होने से कोई रोक नह सकता साथ ही अपने कार्य की शुरूआत गांवों से करनी चाहिए जिससे इसका लाभ सुदूर गांव में बैठे व्यक्ति को भी मिल सके। अपने जीवन ऐसा कार्य करें जिससे अपना, अपने परिवार, विद्यालय एवं देश का नाम रोशन होवे, सोशल वर्क का उददेश्य ही आम जन की सेवा करना होता है। उक्त विचार उक्त विचार मंगलवार को समाज कार्य के क्षेत्र में कार्य करने वाले जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ के संघटक उदयपुर स्कूल ऑफ सोशल वर्क एवं गुजरात विद्यापीठ के संयुक्त तत्वावधान में महाविद्यालय के सभागार में ’’ वर्तमान परिप्रेक्ष में समाज कार्य शिक्षा ः चुनौतियॉ व अवसर ‘‘ विषयक पर आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए प्राचार्य प्रो. एस.के. मिश्रा ने कही। उन्होने कहा कि राजस्थान एवं गुजरात की संस्कृति में काफी समानता है। समाज कार्य के क्षेत्र में कार्य करने वाले गुजरात विद्यापीठ से आये ७० विद्यार्थियों के दल ने किया विद्यापीठ एमएसडब्ल्यू कॉलेज का दौरा कर महाविद्यालय की जानकारी प्राप्त की। प्रारंभ में कार्यशाला में आये अतिथियों का स्वागत करते हुए डॉ. वीणा द्विवेदी ने कार्यशाला एवं महाविद्यालय की जानकारी दी। कार्यशाला प्रभारी डॉ. सुनील चौधरी ने बताया कि वर्तमान में समाज कार्य शिक्षा के सिद्धांत तथा व्यवहार में अन्तर देखने को मिलता है। वैश्वीकरण के प्रभाव के कारण भारत की सामाजिक संरचना में परिवर्तन हुए है जिसके कारण समाज कार्य शिक्षा की प्रासंगिकता भी बढ जाती है। डॉ. चौधरी ने विद्यापीठ के इतिहास के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि १९३७ में तीन व्यक्ति एवं तीन रूपये से शुरू विद्यापीठ का आज करोडो का वार्षिक बजट। उन्होने कहा कि ये सब संस्थापक जनार्दनराय नागर की सोच, तपस्या का परिणाम है। कार्यशाला में गुजरात विद्यापीठ के प्रो. बंकीमचन्द्र, डॉ. अशोक ने गुजरात में समाज कार्य शिक्षा के परिदृश्य पर विस्तृत जानकारी दी। कार्यशाला का संचालन डॉ. सुनील चौधरी ने किया जबकि धन्यवाद डॉ. सीता गूर्जर ने दिया।



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