विचारों,कविताओं,शायरी के साथ बना माहोल

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Published on : 24 Jan, 18 08:01

विचारों,कविताओं,शायरी के साथ बना माहोल कोटा(डॉ.प्रभात कुमार सिंघल)कोटा में मां शारदे के जन्मदिन को बसंतोत्सव दिवस के रुप मे एवम् निराला जयंती के रूप में मनाया गया। माँ सरस्वती के पूजन के साथ शुरू हुए कार्यक्रम में प्रबुद्धजनों के विचारों,कविताओं एवम् शायरियों से वसन्तोत्सव का खुशनुमा माहोल बन गया। वक्ताओं ने वसंत को ऋतुराज बताते हुए इसके महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला। साहित्यिक उद्ऱनो से वसंत और जीवन से इसके प्रगाढ़ सम्बन्ध को रेखांकित किया। बसंत को विद्यार्थियों के लिए ऊर्जा बढ़ाने वाला बताते हुए कहा कि जीवन में आगे बढ़ने के लिए लक्ष्य साधने के लिए कठोर परिश्रम करने का मार्ग बताता है। कार्क्रम का आयोजन सर्वजनिक मंडल पुस्तकालय में किया गया।

पुस्तकालय प्रभारी डा. डी. के. श्रीवास्तव ने बताया कि - माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी से ऋतुओं के राजा वसंत का आरंभ हो जाता है। यह दिन नवीन ऋतु के आगमन का सूचक है। इसीलिए इसे ऋतुराज वसंत के आगमन का प्रथम दिन माना जाता है। साथ ही यह मां सरस्वती की जयंती का दिन है।इस दिन से प्रकृति के सौंदर्य में निखार दिखने लगता है। वृक्षों के पुराने पत्ते झड़ जाते हैं और उनमें नए-नए गुलाबी रंग के पल्लव मन को मुग्ध करते हैं। इस दिन को बुद्धि, ज्ञान और कला की देवी मां सरस्वती की पूजा-आराधना के रूप में मनाया जाता है।
बसंतोत्सव पर प्रकाश डालतें हुयें मुख्य वक्ता हिंदी के प्रोफेसर रहे डा. विवेक मिश्र ने बताया कि बसंत पंचमी उत्साह , उल्ल्हास एवं उर्जा का प्रतीक हें यह प्रकृति के यौवन का समय है अतएव इसे त्रतुराज कहा जाता है बसंत पंचमी को मां सरस्‍वती की उपासना वास्‍तव में “ असतो मा सद गमय, तमसो मा ज्‍योतिर्ग्‍मय” का रूपक है । कार्यकृम की अध्यक्षता कर रहे श्री बाल मुकुन्द वर्मा नेबताया कि – भारत त्योहारो का देश है, यंहा प्रत्येक अवसर को त्योहार के रूप में मनाकर अपनी ख़ुशी का इजहार किया जाता हैI हमारे देश के त्योहार केवल धार्मिक अवसरों को ध्यान में ही रखकर नही मनाये जाते बल्कि ऋतु परिवर्तन के मौके का भी पर्व के रूप में ही स्वागत किया जाता हैI
कार्यक्रम के मुख्य अतिथी श्री प्रहलाद मीणा सेवानिवृत कस्टम अधिकारी , विशिष्ठ अतिथी ,शकुर अनवर शायर ,,सलीम अफरीदी एवम् पूर्व संयुक्त निदेशक जनसम्पर्क विभाग डॉ प्रभात कुमार सिंघल ने भी विचार रखे।
सलीम अफरीदी साहब काव्य पाठ किया तथा सुत्रधार शकुर अनवर साहब ने कहा कि - बसंत पंचमी का सम्बंध सरस्वती देवी के जन्मोंत्सव से माना जाता हैं , इन्हें विधा , संगीत और बुध्धि की देवी माना जाता हें इस दिन माता –पिता अपने बच्चें का मां शारदा के पूजन के पश्चायत विध्याभ्यास प्रारम्भ करवाती है ।
मुख्य अतिथी श्री प्रहलाद मीणा सेवानिवृत कस्टम अधिकारी सहित गणमान्‍य पाठक श्री के. बी . दीक्षित , श्री नीरज यादव , श्री कपिल , श्री इंद्रकांत चौधरी , सुश्री अभिलाषा , श्रीमति संतोष , श्रीमती कृष्णा, मनीष मीना एवं श्री राहुल हिस्‍सा लिया एवं बच्‍चों उपहार स्‍वरूप पुस्‍तके प्रदान की गई उनके अभिभावको को सम्‍मानित किया गया । कार्यक्रम का संचालन अजीम शायर शकुर अनवर साहब ने किया । कार्यक्रम आयोजन में अजय सक्सेना ,नवनीत शर्मा एवं सागर आजाद ने सक्रिय सहयोग किया।

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