बांसवाड़ा में दुर्लभ प्रजातियों के कई पक्षी मिले

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Published on : 24 Jan, 18 08:01

बांसवाड़ा, वन विभाग, बांसवाड़ा के तत्वावधान में वर्ष 2018 की राजस्थान जलीय पक्षी गणना का कार्य लगातार जारी है। सोमवार को भी दिनभर विभिन्न पक्षी विशेषज्ञों ने पक्षी गणना का कार्य किया और जानकारियां संकलित की।
उप वन संरक्षक अमरसिंह गोठवाल ने बताया कि पक्षी विशेषज्ञ के दो दलों ने आज अलग-अलग जलाशयों में पक्षियों की गणना की। उन्होंने बताया कि जिले के परतापुर कस्बे के भगोरा तालाब में पक्षी विशेषज्ञ महेन्द्र पाठक एवं दल ने पक्षी गणना की। इसके तहत यहां पर बड़ी संख्या में प्रवासी व स्थानीय पक्षी दिखाई दिए। पाठक ने बताया इस तालाब में टफटेड पोचार्ड 8, कॉमन टील 12, मार्श हेरियर 4,व्हाईट वेगटेल 50, यलो वेगटेल 30 तथा बड़ी संख्या में स्थानीय पक्षी जिसमें कूट्स, कॉम्बडक, ब्लेक विग्ड स्टील्ट, वूली नेक्ड स्टॉर्क्स, ब्लेक व व्हाईट आईबीस व 4 सारस क्रेन दिखाई दिए।
दूसरी तरफ आज सहायक निदेशक कमलेश शर्मा के साथ सागवाड़ा के पक्षी विशेषज्ञ मुकेश पंवार, दिनेश जैन व भंवरलाल गर्ग ने जंतोड़ा, सुंदनी और आसन तालाब में गणना का कार्य किया। यहां पर बड़ी संख्या में प्रवासी और स्थानीय पक्षियों की गणना की गई। जंतोड़ा तालाब पर करीब दस हजार किलोमीटर की यात्रा तय करके मध्य एशिया से आने वाले प्रवासी पक्षी ग्रे लेग गूज़ 75 की संख्या में देखा गया वहीं संकटग्रस्त श्रेणी का गेडवाल 32, पिनटेल 78, विजन 34, कॉमन पोचार्ड 58 तथा स्थानीय स्पॉट बिल 36, कॉटन टील 56 तथा कॉम्ब डक 80 की संख्या में दर्ज की गई।
इसी प्रकार सुंदनी तालाब में विश्व में उड़ने वाले सबसे बड़े पक्षी की पहचान वाले सारस क्रेन भी 6 की संख्या में देखे गए। यहां पर कॉटन टील 80, कॉम्ब डक 41, लेसर विसलिंग टील 250 की संख्या में दर्ज की गई। आसन तालाब में 230 कॉटन टील, 60 लेसर विसलिंग टील, 80 गेडवाल, 23 गारगनी, 48 कॉमन पोचार्ड, 28 फेरूजनस पोचार्ड, 34 स्पॉटबिल डक आदि भी देखे गए।
इसके अतिरिक्त सभी तालाबों पर स्थानीय पक्षियों में ग्लोसी आईबिस, कॉर्मोरेंट, लिटिल कॉर्मोरेंट, केटल ईग्रेट, लिटिल ईग्रेट, लार्ज ईग्रेट, व्हाईट ब्रेस्टेड वाटरहेन, कॉमन कूट्स भी बड़ी संख्या में दर्ज की गई। विशेषज्ञों ने आज पानी में अटखेलियां करते पक्षियों की संख्या की जानकारी निर्धारित प्रपत्र में दर्ज की वहीं इन पक्षियों की फोटोग्राफी भी की।
सात वर्षों बाद दिखाई दिया दुर्लभ प्रजाति का रेड क्रस्टेड पोचार्ड
पक्षी गणना दौरान सोमवार को जंतोड़ा तालाब में सात वर्षों बाद वागड़ में दुर्लभ प्रजाति का रेड क्रस्टेड पोचार्ड पक्षी दिखाई दिया। गणना दलों ने इस पक्षी को 4 की संख्या में उपस्थिति दर्ज की। राजपूताना नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी भरतपुर के संस्थापक एवं प्रदेश के प्रसिद्ध पक्षी विज्ञानी डॉ. एस.पी.मेहरा ने बताया कि रेड क्रस्टेड पोचार्ड प्रवासी पक्षी है और यह रशिया व तुर्कमेनिस्तान से यहां सर्दियां बिताने आता है। गहरे पानी को पसंद करने वाला सुंदर दिखाई देने वाला यह पक्षी डुबकी लगाने वाला पक्षी है। उन्होंने बताया कि पूर्व में वर्ष 2011 में यह दक्षिणी राजस्थान में दिखाई दिया था औैर सामान्य तौर पर यह प्रतिवर्ष नहीं दिखाई देता है। करीब सात वर्षों बाद इसका दिखाई देना वागड़ अंचल की प्रदूषणमुक्त आबोहवा का ही प्रभाव है। उन्होंने पक्षी गणना दौरान इसकी साईटिंग पर खुशी जताई है।
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