प्रणब ने पेशेवरों की बौद्धिक क्षमता का सही इस्तेमाल न करने पर जताया दुख

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Published on : 17 Jan, 18 11:01

ढाका, पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज कहा कि आईंआईंटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थान बेहतरीन पेशेवरों को तैयार करते हैं लेकिन वे राष्ट्र निर्माण में योगदान करने के बजाए बहुराष्ट्रीय कंपनियों केसेल्समैनबनकर रह जाते हैं।
उच्च स्तर के अनुसंधान पर जोर देते हुए मुखर्जी ने कहा कि दक्षिण एशिया के विश्ववदृालयों को अपने लक्ष्य की समीक्षा करनी चाहिए। देश के प्रमुख विश्ववदृालयों में शामिल चटगांव विश्ववदृालय ने प्रणब को मानद डॉक्टर ऑफ लेटर्स (डी लिट) की उपाधि से नवाजा।बांग्लादेश के चार दिवसीय निजी दौरे के तीसरे दिन दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा,अमर्त्य सेन, सी वी रमन और हर गोविंद खुराना जैसे कुछ भारतीयों को शानदार शैक्षणिक शोध के लिए नोबल पुरस्कार हासिल हुआ लेकिन उन्होंने हार्वर्ड जैसे विदेशी संस्थानों में शिक्षा हासिल की न कि भारतीय संस्थानों में। उन्होंने कहा कि आईंआईंटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थान बेहतरीन पेशेवर तैयार करते हैं जोवस्तुत: बहुराष्ट्रीय कंपनियों के सेल्समैनबनकर रह जाते हैं। वे अपनी क्षमता एवं बुद्धिमता से अन्याय करते हैं क्योंकि ये कार्यं कम प्रतिभा वाले लोग भी कर सकते हैं।मुखर्जी ने कहा कि वित्त मंत्री रहते हुए उन्होंने शिक्षा के लिए कोष आवंटित किया था लेकिन उच्च शिक्षण संस्थानों के प्रदर्शन की समीक्षा करने का काफी कम अवसर था। राष्ट्रपति बनने के बाद वह इसे कर सके क्योंकि वह सौ से ज्यादा विश्ववदृालयों के कुलाधिपति थे।चटगांव विश्ववदृालय के उपकुलपति इफ्तेखार उद्दीन चौधरी ने मुखर्जी को विश्ववदृालय परिसर में उपाधि से नवाजा।
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