स्वर्ण मंदिर सा जगमगाया बाँसवाड़ा का श्रीगढ़

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Published on : 16 Jan, 18 09:01

अर्थुना माही महोत्सव की सौग़ात स्वर्ण मंदिर सा जगमगाया बाँसवाड़ा का श्रीगढ़ रोशन हुआ पांच सदियों पुराना बांसवाड़ा का स्वर्णित अतीत

स्वर्ण मंदिर सा जगमगाया बाँसवाड़ा का श्रीगढ़ बांसवाड़ा, र्थुना माही महोत्सव के आयोजन के साथ हाई जिले की समृद्ध ऐतिहासिक संपदाएं अब धीरे-धीरे देश-प्रदेश का ध्यान आकृष्ट कर रही है, इसी का साक्षात उदाहरण रविवार रात्रि को दिखा जब जिला मुख्यालय पर पांच सदियों पुराने राजमहल को आकर्षक रोशनी से रात में रोशन किया गया। पूर्व राजपरिवार के जगमालसिंह की पहल पर यह मौका था जब बांसवाड़ावासियों ने इस राजमहल को रात में पूरी तरह रोशन देखा। अचानक ही रात में स्वर्णिम प्रकाश से जगमग करते राजमहल को देखने के लिए शहरवासी उमड़ पड़े और इस ऐतिहासिक धरोहर को देर तक निहारा।
पृष्ठभूमि: वागड़ से पृथक् हुई बांसवाड़ा रियासत के तत्कालीन महारावल जगमालसिंह ने ‘श्रीगढ़’ नाम से इस किले का निर्माण वर्ष 1530 में किया था और आजादी के बाद महारावल चंद्रवीरसिंह ने इसका नाम श्रीराज मंदिर कर दिया था। वर्ष 1931 में श्रीगढ़ के प्रवेश द्वार पर स्थित क्लॉक टॉवर में घड़ी को स्थापित किया गया था। आधा किलोमीटर की अधिक की लंबाई वाला यह विशाल पैलेस 7 मंजिला है और इसमें 50 से अधिक अलग-अलग अपार्टमेंट है। इसमें क्लॉक टॉवर, बिलीयडर््स रूम, स्विमिंग पुल, दरबार हाल के साथ ही श्री विलास, शंभु निवास, लक्ष्मण निवास, पृथ्वी निवास, प्रियतम निवास, रणजीत महल, नौ चौकी, फूल महल, पाटवी चौपाट और नज़र बाग प्रमुख भाग हैं।
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