ब तू आया जगत में, जगत हंसा तुम रोय, अब ऐसी करनी करो, आगे हंसी होय

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Published on : 10 Jan, 18 12:01

अजमेर| सज्जनपुरुष कभी भी दूसरों के कष्टों को देख नहीं पाते, दूसरों के कष्टों को दूर करने का प्रयास करते है। दुर्जन पुरूषों की नीति इस प्रकार की नहीं होती है। वह मूर्खों के साथ मूर्खता का व्यवहार करता है। दुखियों को देखकर सुखी होता है। ज्ञानोदय तीर्थ क्षेत्र नारेली में मंगलवार को सुधा सागर महाराज ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति आपके साथ अच्छा व्यवहार नहीं करे तो तुम उसके साथ बुरा व्यवहार मत करो, अगर कोई तुम्हारे मार्ग में कांटे डाले तो तुम उसके मार्ग पर फूल बिखेर देना। धर्मात्मा का जीवन इसी प्रकार का होता है। वह कभी भी दूसरों का अहित नहीं सोचता। व्यक्ति को सदैव समता का सहारा लेकर विषय परिस्थितियों में संतुलन नहीं खोना चाहिए। क्रोध रूपी अग्नि को समता रूपी जल से शांत किया जाता है, बुझाया जा सकता है। समता का रसास्वादन करने वाला व्यक्ति जीवन में सदैव सुखी रहता है। विषमता का सहारा लेने वाला व्यक्ति दुखी रहता है, अशांत रहता है। जीवन मे अगर सुख शां‍ति चाहते हो तो विषमता को छोड़कर समता का सहारा लेना चाहिए।
आजका कार्यक्रम : कमेटीअध्यक्ष मनीष जैन् गदिया ने बताया कि बुधवार सुबह 7.30 बजे से विघ्नहर श्री मुनि सुव्रतनाथ भगवान के अभिषेक एवं शांतिधारा के बाद सुबह 9 बजे से सुधा सागर महाराज के प्रवचन ज्ञानोदय तीर्थ क्षेत्र नारेली स्थित प्रवचन पण्डाल में होंगे, 10.30 बजे मुनि श्री की आहारचर्या, 12 बजे सामयिक शाम 5.30 बजे महाआरती एवं जिज्ञासा समाधान का कार्यक्रम होगा।

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