सीटीई कार्यक्रम सलाहकार समिति की बैठक सम्पन्न

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Published on : 05 Dec, 17 07:12

२०१७-१८ का ५८ लाख का बजट पारित

सीटीई कार्यक्रम सलाहकार समिति की बैठक सम्पन्न उदयपुर .आज की युवा पीढी आज के इस आधुनिक एवं तकनीकी युग में नैतिक शिक्षा को भूल चुकी है अपने परम्परागत संस्कारों को भूल गया है उसे पुनः अस्तित्व में लाना होगा। बच्चो में नैतिक शिक्षा डालने की परम्परा सदियों से चली आ रही है हमारे धर्म ग्रंथों को उद्देश्य भी यही रहा है कि व्यक्ति के अंदर नैतिक गुणों का विकास हो ताकि व्यक्ति स्वयं को तथा दूसरों को भी सही मार्ग दर्शन कर सके। नैतिक मूल्येां से बालक सही निर्माण, कुशल व्यक्तित्व का विकास व सही एवं खराब को पहचाने का ज्ञान हो जाता है। इसके लिए बच्चों को मानसिक स्तर पर मजबूत बनाने की आवश्यकता है। उक्त विचार सोमवार को जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के संघटक लोकमान्य तिलक शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय के अन्तर्गत संचालित भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अन्तर्गत संचालित सी.टी.ई. कार्यक्रम सलाहाकार समिति की बैठक की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने कही। उन्होने कहा कि उन्होने कहा कि प्रोफेसर ५० फीसदी टीचिंग पर तो ५० फीसदी रिसर्च पर ध्यान दे। ज्यादा से ज्यादा क्वालिटी एज्यूकेशन व शोध वर्क को महत्व दे तथा विद्यार्थियों को भी इसके लिए प्रोत्साहित करें। उन्होने कहा कि भावी योजनाओं में कौशल आधारित पाठ्यक्रम पर अधिक से अधिक जोर दिया जाय तथा उच्च शिक्षा से जुडे प्रबंध पत्रों को अधिक से अधिक जोडा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि बच्चों को मानसिक स्तर पर मजबूत बनाने की आवश्यकता है। इन सेवारत प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से विद्यार्थियों को मानसिक स्तर पर मजबूत किया जा सकता है। कौशल आधारित प्रशिक्षण विद्यार्थी को विद्यालय स्तर पर से प्रारम्भ किया जाना चाहिए। विशिष्ठ अतिथि माध्यमिक शिक्षा निदेशालय बीकानेर की सहायक निदेशक सुमन रंगा, सहायक प्रशासनिक अधिकारी अनूप गोस्वामी, निदेशक वरिष्ठ सहायक प्रभारी प्रशिक्षण आलोक अग्रवाल थे। बैठक में विभिन्न जिलों के जिला शिक्षा अधिकारी एवं शिक्षाविद् डॉ. एम.पी. शर्मा, प्रो. ए.बी. फाटक, डॉ. मांगीलाल नागदा ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि परम्परागत बीएड पाठ्यक्रमों में बदलाव की आवश्यकता है। अध्यापकों का कार्य है कि बालकों में ज्ञान पहुंचाना है। आज की इस तकनीकी युग में ऐसा पाठ्यक्रम हो जिससे बच्चा उस ओर आकर्षित हो अपने ज्ञान में वृद्धि करें। इसके लिए इंटरशीप को मजबूत करना होगा। प्रारंभ में अतिथियों का स्वागत प्राचार्य शशि चितौडा ने बताया कि वर्ष २०१७-१८ के बजट में पहली किश्त के रूप में ५८ लाख का बजट पास किया गया। सी.टी.ई. समन्वयक डॉ. सरोज गर्ग ने पूर्व में आयोजित सलाहकार समिति की दिनांक १०.०७.१७ को हुई बैठक में लिये गये निर्णय से सदस्यों को अवगत कराया एवं आज की बैठक का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. रचना राठोड ने किया जबकि धन्यवाद डॉ. बलिदान जैन ने दिया।


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