विवेकशील हमेशा सकारात्मक सोचते हैं: आचार्यश्री सुनील सागरजी

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Published on : 21 Nov, 17 07:11

उदयपुर,हर बात में अगर आप नकारात्मक सोच रखोगे तो परिणाम भी नकारात्मक ही मिलेंगे। और सोच अगर आपकी सकारात्मक होगी तो परिणाम भी सकारात्मक ही सामने आएंगे। कुछ लोग होते हैं जिन्हें बात- बात में नकारात्मकता ही दिखाई देती है। चाहे कितना ही अच्छा काम हो, उसमें वो नकारात्मकता ही ढूंढेंगे और बेमतलब का विवाद पैदा कर देंगे। ऐसे करने वाले दुष्ट प्रवृत्ति वाले होते हैं। बुद्धिजीवी तो वो हैं जो नकारात्मकता में भी सकारात्मक सोच रखते हैं। ठीक है कोई काम बिगड़ गया या समय नहीं हो पाया, इसका मतलब यह थोड़े ही है कि आप एक ही चीज पकड़ कर बैठ जाओ कि यह काम बिगड़ा तो बिगड़ा कैसे। सकारात्मक, विवेकशील और बुद्धिजीवी लोग वो होते हैं जो बिगड़े कामों के सुधारने का प्रयास करते हैं क्योंकि उनकी सोच सकारात्मक होती है। उक्त विचार आचार्यश्री सुनीलसागरजी महाराज ने हुमड़ भवन में आयोजित प्रात:कालीन धर्मसभा में व्यक्त किये।
आचार्यश्री ने कहा कि सम्पन्न और समृद्ध लोग चाहे एक दूसरे का सहयोग करे ना करे लेकिन जसे समृद्ध नहीं है वो एक दूसरे का सहयोग करने के साथ ही आपस में एक दूसरे का सुख-दुख जरूर बांटते हैं। सम्पन्न और समृद्धों के पास वैसे भी समय होता कहां है। दुनिया में ऐसे कई लोग हैं जो रबची हुई रोटी- सब्जी गाय कुत्तों को देने के लिए सीधे ही सडक़ पर फैंक देते हैं। फैंकते हैं वो तो ठीक है लेकिन उन्हें भी प्लास्टिक की थैली में और बांध देंगे। गायें और कुत्ते या अस जानवरों को थोड़ी पता होता है कि प्लास्टिक आगे जाकर उनके लिए जान लेवा साबित होगा क्योंकि वह पेट में जाने के बाद पचेगा नहीं और इक_ा होता रहेगा। अरे आपकी बची हुई रोटी किसी गरीब का पेट भर सकती है। आप उसे देते क्यों नहीं है। उक्त विचार आचार्य सुनीलसागरजी महाराज ने हुमड़ भवन में आयोजित प्रात:कालीन धर्मसभा में व्यक्त किये।
आचार्यश्री ने कहा कि जीवन को अगर उज्ज्वल बनाना है, सार्थक बनाना है तो धर्मध्यान का रास्ता अपनाओ, पाप और पुण्य में फर्क को समझो, पुण्य क्या है और पाप क्या है इसे जानो और सदैव विषय और विकारों से दूर रहने की कोशिश करो। ऐसा होगा आपकी नकारात्मक सोच भी आपसे दूर हो जाएगी और आपका जीवन एक सुखी और समृद्ध जीवचन हो जाएगा।
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