दिवालिया कार्रवाई में विल्फुल डिफॉल्टर खरीद पाए एसेट

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Published on : 20 Nov, 17 13:11

नई दिल्ली | वित्तमंत्रालय ने बैंकों से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि दिवालिया (इन्सॉल्वेंसी) कार्रवाई के दौरान विल्फुल डिफॉल्टर कंपनी के एसेट खरीद लें। एक सूत्र के अनुसार वित्त मंत्रालय की जानकारी में यह बात आई है कि कुछ विल्फुल डिफॉल्टर ऐसी कंपनियों की संपत्ति खरीदने की बिडिंग में शामिल होना चाहते हैं। अभी इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड के तहत 12 मामलों में कार्रवाई चल रही है। इनमें हरेक पर 5,000 करोड़ रुपए से ज्यादा कर्ज है। इनका कुल कर्ज 1.75 लाख करोड़ रुपए है। यह बैंकों के कुल एनपीए का करीब 25% है। जून 2017 तक के आंकड़ों के मुताबिक सरकारी बैंकों का एनपीए 7.33 लाख करोड़ रुपए पहुंच गया था। मार्च 2015 में यह 2.78 लाख करोड़ रुपए था। रिजर्व बैंक के निर्देश के बाद बैंक कई और कंपनियों के खिलाफ मामला कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) में ले जाने वाले हैं। इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड में समयबद्ध समाधान का प्रावधान किया गया है। सबसे पहले ट्रिब्यूनल को 14 दिनों में किसी मामले को स्वीकार का खारिज करना होता है। केस स्वीकार होने के बाद बैंक को इन्सॉल्वेंसी प्रैक्टिशनर रखने के लिए 30 दिन मिलते हैं।

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