बंदरों, कुत्तों की नसबंदी के लिए टीका विकसित करने में देरी पर कोर्टनाखुश

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Published on : 18 Nov, 17 11:11

नई दिल्ली। देश में बंदरों और कुत्तों की बढ़ रही संख्या को लेकर दिखायी जा रही गंभीरता का संझान लेते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि इन पशुओं की नसबंदी के लिए टीका विकसित करने में देरी नहीं होनी चाहिए । कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की पीठ ने राष्ट्रीय प्रतिरक्षा विज्ञान संस्थान (एनआईआई) को इम्युनो कांट्रासेप्शन के लिए टीका विकसित करने में हुयी प्रगति का संकेत देने वाली स्थिति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया। जानवरों में गर्भधारण रोकने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाएगा। इस मामले में अब 12 दिसम्बर को सुनवाई होगी।यह निर्देश उस समय दिया जब भारतीय प्राणि कल्याण बोर्ड (एडब्ल्यूबीआई) और पशु अधिकारों के लिए काम करने वाली गौरी मौलेखी ने अदालत से कहा कि पशुओं की सर्जिकल नसबंदी से फायदा नहीं होगा जबकि दिल्ली सरकार इस पर विचार कर रही है। उन्होंने कहा कि सर्जिकल नसबंदी से पशुओं के समाजिक समूहों को नुकसान पहुंचेगा, इससे वे और आक्रामक हो जाएंगे और यह मानवीय छाप भी छोडेगी, इसलिए इन सबसे परहेज किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि कुछ अफ्रीकी देशों सहित अनेक देशों ने ऐसा टीका विकसित किया है जो मुंह से दिया जाता है । इसके बाद पीठ ने कहा, अफ्रीकी देशों ने भी विकसित कर लिया लेकिन हम नहीं कर पाए ? यह आश्र्चयजनक है कि हमने शुरूआत भी नहीं की है। एनआईआई में पिछले कई साल से एक टीका विकसित करने के लिए कदम उठाया जा रहा है। अदालत दो याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी जिसमें प्राधिकारों को बंदरों और कुत्तों की समस्या से निबटने के साथ ही मोरों के संरक्षण के लिये निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।


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