संवाद में ४ हजार ९७५ युवाओं ने भरी डेप रक्षक बनने की हुंकार

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Published on : 18 Nov, 17 10:11

जिले की ३१ स्कूल कॉलेजों में एक साथ आयोजित हुआ बेटियां अनमोल हैं कार्यक्रम

संवाद में ४ हजार ९७५ युवाओं ने भरी डेप रक्षक बनने की हुंकार उदयपुर राजस्थान राज्य में बाल लिंगानुपात लगातार गिरने के कारण पैदा हुई चिंताजनक स्थिति को सुधारने के लिय चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से मिशन निदेशक नवीन जैन के निर्देशन में चलाये जा रहे विशेष जागरूकता अभियान ”डॉटर आर प्रिसियस” के तहत जिले भर के ३१ स्कूल कॉलेजों में एक साथ जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन हुआ। विभाग के जिला आईईसी समन्वयक मधु अग्रवाल ने बताया कि निदेशालय से ट्रेनिंग लेकर आये डेप रक्षकों ने युवाओं से किये इस संवाद में १४ हजार ११८ युवाओं ने ”डॉटर आर प्रिसियस” यानी डेप रक्षक बनने की हुंकार भरते हुऐ बेटी बचाने का संकल्प लिया। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारीने बताया कि ”डॉटर आर प्रिसियस” अभियान के तहत आज जो कार्यक्रम जिलेभर में आयोजित किया जा रहा है इसमें युवाओं को जोडकर बेटियों के प्रति परम्परागत रूढीवादी सोच में बदलाव लाना है। इस कार्यक्रम में पॉवर पाईन्ट प्रस्तुतिकरण तथा कुछ वीडियो क्लिप्स के माध्यम से इस बुराई के विरूद्ध मजबूत संदेश दिया जाता है। यह कार्यक्रम कोई भाषण नहीं होकर आपसी संवाद के रूप में सम्पादित किया गया।
इन बिन्दुओं कार्यक्रम में हुआ युवाओं से संवाद
सन १९८१ में बाल लिंगानुपात १००० लडकों पर ९५४ लडकियंा थी जो ३० वर्षो में गिरते हुए २०११ की जनगणना में केवल ८८८ रह गया। इसी बीच १९९४ में पीसीपीएनडीटी अधिनियम, १९९६ में इसके नियम तथा २००३ में आवश्यक संशोधन होने के उपरान्त भी कन्या भ्रूण हत्या के कारण बाल लिंगानुपात में गिरावट जारी रही। जो कि पिछले कुछ समय से राजस्थान में जनसंख्या का लिंगानुपात बढ रहा था। ऐसे में ०-६ वर्ष की आयु वर्ग में लडकियों की संख्या का भारी मात्रा में गिरना यह साबित कर रहा था कि समाज में जागरूकता के साथ साथ सख्ती से कानून क पालन की गहन आवश्यकता है। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग के पीसीपीएनडीटी अनुभाग द्वारा बीडा उठाया गया।
राजस्थान देश का पहला ऐसा राज्य जहां प्रत्येक सोनोग्राफी मशीन के साथ सोनोग्राफी की फिल्म रिकार्डिग हेतु एक्टिव ट्रेकर लगाया जाना आवश्यक है। अब सोनोग्राफी केन्द्रों को मशीन पर जीपीएस लगाना भी अनिवार्य कर दिया गया है। राजस्थान देश का पहला राज्य है, जहां सभी सातों संभागों में पीसीपीएनडीटी न्यायालय कार्यरत है एवं पीसीपीएनडीटी ब्यूरो आफ इन्वेस्टीगेशन पुलिस थाना कार्यरत है।
मुखबिर योजना को अधिक व्यवहारिक बना कर तथा आमजन में उसका अच्छे से प्रचार कर डिकॉय ऑपरेशन की प्लानिंग की गई जिसके फलस्वरूप वर्ष २०१६ में २५ तथा २०१७ में अभी तक ४१ डिकॉय ऑपरेशन किये जा चुके हैं। राजस्थान में अब तक किये गये डिकॉय ऑपरेशन के तहत २२८ लोगों को गिरफ्तार किया गया है। वर्ष २०१६ से राजस्थान में पीबीआई द्वारा सफलतापूर्वक पडौसी राज्यों में जाकर भी भ्रूण लिंग जांच में लिप्त दलालों तथा चिकित्सकों को पकडा गया है। अब तक लगभग २६ अन्तरराज्यीय डिकॉय ऑपरेशन किये जा चुके हैं। न्यायपालिका से भी इस पुनीत कार्य में लगातार समन्वय रखने से बेहतर परिणाम सामने आ रहे हैं।
पीसीपीएनडीटी अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन के लिये राज्य के प्रत्येक जिले में तैनात पीसीपीएनडीटी समन्वयक समुचित अधिकारियो को निरीक्षण करने, कानूनी सलाह देने, माननीय न्यायालय में परिवाद प्रस्तुत करने में सहायता प्रदान करने एवं बेटी बचाओ की सामाजिक जागृति पैदा करने के लिये आईईसी का कार्य भी कर रहे है।
राज्य में कार्यरत निःशुल्क चिकित्सा परामर्श १०४ व १०८ टोल फ्री नम्बर सेवा पर कन्या भ्रूण हत्या व लिंग परीक्षण की शिकायत दर्ज कराने की सुविधा उपलब्ध करवायी गयी है। इस पर आने वाली शिकायतों का त्वरित निस्तारण किया जाता है।
गत वर्ष विभाग द्वारा यह महसूस किया गया कि कानून की पालना करने से हम बहुत सीमित रूप से ही भ्रूण लिंग जांच तथा कन्या भ्रूण हत्या पर अंकुश लगा सकते हैं परन्तु समाज में जागृति अभियान आयोजित करने से आमजन की मानसिकता को बदलने से आशातीत सफलता मिल सकती है। इसी भावना के मद्देनजर दिनांक २३ सितम्बर, २०१६ को केन्द्रीय चिकित्सा राज्यमंत्री द्वारा जयपुर में आयोजित एक समारोह में क्ंनहीजमते ंतम च्तमबपवने (बेटियां अनमोल हैं) कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया था।

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