सामाजिक सरोकारों की दिशा में रंग ला रहा

( 3793 बार पढ़ी गयी)
Published on : 17 Nov, 17 10:11

युवाओं का भविष्य सँवार रही है अनुप्रति योजना

भीलवाड़ा, विपन्न परिवारों के युवाओं की तकदीर सँवारने के मकसद से राज्य सरकार द्वारा संचालित अनुप्रति योजना प्रतिभावान युवक-युवतियों के लिए वरदान सिद्ध हो रही है। गरीब परिवारों के युवाओं के लिए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की यह प्रोत्साहन योजना सम्बल दे रही है।प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं की तैयारी करने के लिए सरकार की ओर से प्रोत्साहन स्वरूप उपलब्ध कराई जाने वाली आर्थिक सहायता का लाभ पाकर गरीब परिवारों के युवा अपने सुनहरे भविष्य को पाने में सफल हो रहे हैं।प्रदेश भर में बड़ी संख्या में ऎसे युवा हैं जो सरकार की सहायता पाकर प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं में सफलता पाकर आज जिन्दगी का बेहतर मुकाम पा चुके हैं जबकि बड़ी संख्या में युवा अनुप्रति योजना का लाभ पाते हुए प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं की तैयारी में पूरे मन से जुटे हुए हैं।इन युवाओं के लिए पढ़ाई-लिखाई के लिए जरूरी संसाधनों और संदर्भ पुस्तकों आदि की उपलब्धता सुनिश्चित करने में अनुप्रति योजना से प्राप्त धनराशि का बेहतर उपयोग हो रहा है।प्रदेश के युवाओं का कहना है कि इस मामले में सरकार ने प्रतिभाशाली युवाओं की चिन्ता दूर कर दी है और इस वजह से उनका पूरा ध्यान प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारियों पर केन्दि्रत है।इन युवाओं का कहना है कि राजस्थान सरकार ने युवाओं को उज्ज्वल भविष्य देने और जिन्दगी भर के लिए सम्मानित पदों पर प्रतिष्ठित करने के लिए अनुप्रति योजना का जिस बेहतरी से संचालन किया है, उससे प्रदेश में युवा विकास तथा युवाओं को आत्मनिर्भरता देने की दिशा में ऎतिहासिक उपलब्धियां हासिल हो रही हैं।इससे प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले किन्तु आर्थिक दृष्टि से कमजोर परिवारों के युवा खुश हैं। ऎसे ही एक युवा हैं श्री महावीरप्रसाद जीनगर। राजस्थान के भीलवाड़ा जिलान्तर्गत माण्डलगढ़ तहसील मुख्यालय पर जालेश्वर महादेव मन्दिर के पास रहने वाले अनुसूचित जाति वर्ग के 39 वर्षीय श्री जीनगर बी.ए. व एम.ए. (राजनीति विज्ञान) तक पढ़े-लिखे हैं और राजस्थान लोक सेवा आयोग की फस्र्ट ग्रेड टीचर परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं। इससे पूर्व वे 2 जुलाई को सैकण्ड ग्रेड टीचर की भर्ती परीक्षा दे चुके हैं।श्री महावीर प्रसाद जीनगर बताते हैं कि वे अत्यन्त निर्धन परिवार से हैं। उनके पिता श्री शंकरलाल जीनगर का सन् 1996 में ही देहान्त हो चुका है और ऎसे में परिवार चलाने की जिम्मेदारी माँ पर आ गई। उनकी माँ घर-परिवार को चलाने के लिए मेहनत करती हैं और गांव में घूम-घूम कर कपड़े बेचती हैं और इसी से परिवार का गुजारा चलता रहा है।परिवार को सम्बल देने के लिए खुद श्री महावीरप्रसाद जीनगर ने भी निजी स्कूल में 3500 रुपए मासिक पगार पर नौकरी की, लेकिन पखवाड़े भर पहले ही 2013 में दी गई तृतीय श्रेणी शिक्षक की भर्ती परीक्षा में सफल रहने पर उन्हें तृतीय श्रेणी शिक्षक की नौकरी मिल गई।हाल ही 28 अक्टूबर 2017 से वे पास के ही करेड़ा के पास खेड़ी माता गांव के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय में कार्यरत हैं। अब वे फस्र्ट ग्रेड शिक्षक की तैयारी में जुटे हुए हैं।वे बताते हैं कि अनुप्रति योजना में उन्हें सरकार की ओर से प्राप्त 25 हजार रुपए की आर्थिक सहायता राशि ने बहुत बड़ा सहारा दिया। इससे उन्हें प्रतियोगी परीक्षा से संबंधित किताबें लाने में सहूलियत रही वहीं जयपुर से कोचिंग करने में भी मदद मिली। वे बताते हैं कि उन्हाेंने भीलवाड़ा में अपनी बहन के घर रहकर प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं की तैयारी की है वहीं छोटे भाई की ओर से भी उन्हें समय-समय पर मदद मिलती रही है। अनुप्रति योजना से लाभ पाकर अपने सुनहरे भविष्य को पाने की ओर अग्रसर श्री महावीर प्रसाद जीनगर बताते हैं कि मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे और राजस्थान सरकार सामाजिक सरोकारों ख़ासकर युवाओं के लिए यह योजना चलाकर गरीब परिवारों के प्रतिभावान युवाओं को आगे बढ़ने के लिए जो काम कर रही है उसे पीढ़ियों तक भुलाया नहीं जा सकेगा।अनुप्रति योजना की बदौलत इन्द्रधनुषी जीवन का आनंद पाने वाले युवा आज सम्मानजनक राज्य सेवाओं के माध्यम से समाज और प्रदेश की सेवा में अपनी समर्पित भागीदारी निभा रहे हैं।
साभार :


© CopyRight Pressnote.in | A Avid Web Solutions Venture.