सामाजिक कुरीति मृत्युभोज से बर्बाद हो हो रहे हैं लोग |

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Published on : 16 Nov, 17 09:11

मृत्युभोज पर ही होते हैं 70 फीसदी बाल विवाह |

बाडमेर |जिले में सामाजिक कुरीतियो एवं रूढिवादी परम्पराओं को रोकने के लिए मंगलवार को सामाजिक जागृति एव कुरीति उन्मूलन समिति बाड़मेर का प्रतिनिधि मण्डल जिला कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक से मिला और ज्ञापन सौपा |जिला प्रशासन ने इसके लिए सहयोग करने का आश्वासन दिया है |समिति के संयोजक मगराज कड़वासरा ने बताया कि जिले में सामाजिक कुरीतिया मृत्यु भोज ,बाल विवाह नशीले पदार्थो का सेवन पीढियों से चला आ रहा है परिवार में किसी की मृत्यु होने पर 12 वें दिन या मृत्यु के कुछ महीनो बाद मृत्युभोज का आयोजन किया जाता है इसे गंगाप्रसादी ,औसर ,मौसर ,खर्च के नाम से भी जाना जाता है | मृत्यु भोज के साथ -साथा बाल विवाह का आयोजन बड़े स्तर पर किये जाते है मृतक के घर 12 दिन तक धड़ल्ले से नशीले पदार्थो अफीम डोडा सिगरेट बीडी जर्दा का भी सेवन किया जाता है एक मृत्युभोज पर 5 से 25 लाख तक का खर्चा होता है | भोज बनाने में बाजार के मिलावटी घी स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक होता है |परिवार वाले कथित सामाजिक मजबूरियों के चलते अथवा समाज के पंचो द्वारा विवश किये जाने पर सदा के लिए आर्थिक रूप से जर्जर एव कर्जदार हो जाते है |दूसरी ओर मृत्यु भोज को रोकने के लिए बने कानून ” राजस्थान मृत्यु भोज निवारण अधिनियम 1960 “का सीधा उल्लंघन हो रहा है |ज्ञापन में बताया कि जिले में 70% बालविवाह मृत्युभोज पर ही होते है |मृत्युभोज में कुल खर्चे का 25% खर्चा नशीले पदार्थो के सेवन में होता है |मृत्युभोज, बालविवाह ,दहेज प्रथा ,नशीले पदार्थो का सेवन, अधिक मोमेरा एक तरह से रुढ़िवादी परम्पराएं है अज्ञानता, अन्धविश्वास और निरक्षरता के कारण कुरीतियों के आगोश में आकर कई परिवार बर्बाद हो गये हैं |कई लोगों की मजबूरन जमीने बिक जाती हैं |छोटे बच्चे कर्जे के चक्कर में पढाई छोड़ बाल मजदूर बन रहे हैं उन्होने बताया की सामाजिक मर्यादाओ ,दायरों ,एव आदर्शो को खोखला कर रही कुरीतिया को रोकने के लिए बने कानून का प्रचार प्रसार करने एव प्रभावी क़ानूनी कार्यवाही करने के लिए जिले के सभीउपखंडअधिकारियो ,तहसीलदारों,विकास अधिकारियों ,पुलिस उप अधीक्षको,थाना अधिकारियों को निर्देशित करने की मांग की हैं |प्रतिनिधि मण्डल में राजस्थान जाट महासभा के जिलाध्यक्ष डालूराम चौधरी, पूर्व जिलाध्यक्ष ई. रूपसिंह लेघा, नशा निवारण समिति के अध्यक्ष पूनमचंद चौधरी, जिला जाट जागृति मण्डल के महामंत्री भेराराम भाखर, शिक्षक नेता बांकाराम सांजटा सहित समिति कार्यकारिणी के सदस्य थे |

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