कामयाबी में जुडा एक और नया अध्याय

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Published on : 15 Nov, 17 20:11

पेसिफिक सेंटर ऑफ न्यूरोसाइन्सेस की कामयाबी में जुडा एक और नया अध्याय दक्षिणी राजस्थान का प्रथम मामला

कामयाबी में जुडा एक और नया अध्याय उदयपुर हिंदुस्तान जिंक में कार्यरत उदयपुर निवासी ५२ वर्षीय सुनील अग्रवाल को कुछ दिनों पहले मस्तिष्क पक्षाधात हुआ। जिसके चलतें उसे शहर के निजी चिकित्सालय में इलाज के लिए ले जाया गया। बहॉ बताया गया कि उसे ब्रेन हेमरेज के कारण लकवा हुआ है। मरीज लगभग ७ दिन भर्ती रहा। रोगी के परिजनों को उदयपुर में उपलब्ध सुविधाओं का ज्ञान न होने के कारण रोगी को अहमदाबाद स्थित ख्याति प्राप्त हॉस्पिटल ले गए ।

वहाँ के डॉक्टर ने रोगी के लकवे ( ब्रेन हेमरेज) का कारण रोगी के बेटे को बताया कि रोगी को मस्तिष्क की धमनी में बेसिलर टॉप अनयूरीसम यानि कि धमनी की परत के कमजोर होने के फल स्वरूप एक बडा गुब्बारा बन गया व उसके फटने के कारण ही रोगी को लकवा हुआ है। इस हिस्से में ओपन सर्जरी संभव नही हो पाती है। रोगी के बेटे ने उसके इलाज के लिए जब चिकित्सकों से जानकारी ली तो उसे बताया गया कि एन्यूरिज्म कोइलिंग विधि द्वारा इसका इलाज सम्भव है। क्यों कि मस्तिष्क की धमनी में बना गुब्बारा सामान्य नहीं था ऐसे गुब्बारे को मेडिकल भाषा मे काम्प्लेक्स या जटिल एन्यूरिज्म कहा जाता है क्योंकि वह वाइड नैक एन्यूरिज्म था, जो कि सामान्य से कम ही पाए जाते है। ऐसे में कुछ विशेष उपकरण जैसे फ्लो डाईवर्टर या स्टेंट की भी सहायता ली जाती है जैसेकि इस रोगी के केस में pconus uामक उपकरण को कोइलिंग के दौरान काम मे लिया गया pconus स्टेंट का मुख्य काम गुब्बारे में कॉइल को डालते समय कॉइल को गुब्बारे में थामे रखना है क्यूंकि गुब्बारे का मुख का आकार सामान्य से अधिक बडा था । तो कॉइल के बाहर आने का खतरा रहता है उससे बचने के लिए pconus को उपयोग लिया गया है। इस तरह की कोइलिंग करने के लिए यह आवश्यक है कि उसका उपचार अनुभवी चिकित्सक के साथ ही उन्नत तकनीक वाली बाई प्लेन ३डी कैथलैब पर किया जाना जरूरी था जो कि गुजरात , मध्यप्रदेश व राजस्थान में केवल मात्र उदयपुर के पेसिफिक हॉस्पिटल में ही है इसके चलते रोगी के परिजनों ने रोगी को पुनः उदयपुर लाने का निर्णय लिया व वह डॉ अतुलाभ वाजपेयी से संफ में आयें और डॉ वाजपेयी ने रोगी का उपचार सफलता पूर्वक करा। वर्तमान में रोगी ठीक है । अब रोगी के मस्तिष्क में बने इस ग्रब्बारे के भविष्य में फटने की संभावना नगण्य हो चुकी है।
बाई प्लेन कैथलैब पर ही इस तरह के जटिल एन्यूरिज्म का कोईलिंग द्वारा उपचार सफलता से किया जा सकता है क्यों कि बाई प्लेन कैथलैब में दो एंगल से एक साथ एक ही समय पर चिकित्सक को गुब्बारे का थी्रडी व्यू प्रदान करता हैं। मस्तिष्क की धमनियों के जटिल विकारों जैसे एन्यूरिज्म, AVM (मस्तिष्क की छोटी धमनियों में गुच्छा बन जाना) एवं मस्तिष्क धमनियों की एंजियोप्लास्टी में अनुभवी न्यूरो फिजिशियन के साथ साथ बेहतर कैथलैब से मरीज को नुकसान की संभावना कम हो जाती हैं। बेहतर कैथलैब में सामान्य से अच्छा दिखाई देने से जटिल समस्याओं का उपचार आसान हो जाता हैं व मरीज को नुकसान की संभावनाएं कम हो जाती हैं।

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