शुरू हुई जांच तो बढ़ेगी सियासी आंच

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Published on : 22 Oct, 17 08:10

सीबीआई ने चर्चित बोफोर्स दलाली मामले की फिर से जांच करने के लिए केन्द्र सरकार से अनुमति मांगी है। इसके बाद सियासी जानकारों में यह र्चचा आम है कि अगर पांच-छह साल पहले दफन हो चुके इस जिन्न को दोबारा जांच के बहाने जगाया गया तो इसकी आंच आने वाले राजनीतिक घटनाक्रम पर आवश्यक आएगी।
सूत्रों के अनुसार, जांच एजेंसी ने कार्मिक एवं प्रशासनिक विभाग को भेजे पत्र में कहा है कि उसे इस मामले की जांच फिर से शुरू करने के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने के लिए उच्चतम न्यायालय में विशेष अनुमति याचिका दाखिल करने की इजाजत दी जाए। दिल्ली उच्च न्यायालय के तत्कालीन न्यायमूर्ति आरएस सोढ़ी ने 31 मई, 2005 को इस मामले में ¨हदुजा बंधुओं (श्रीचंद, गोपीचंद और प्रकाशचंद) और बोफोर्स कंपनी के खिलाफ लगाए गए सभी आरोपों को खारिज कर दिया था। न्यायालय ने सीबीआई को मामले की जांच के उसके तरीके के लिए फटकार भी लगाई थी और कहा था कि इससे सरकारी खजाने को 250 करोड़ का नुकसान उठाना पड़ा है।
सीबीआई का कहना है कि वह इस आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय जाना चाहती थी, लेकिन तत्कालीन यूपीए सरकार ने उसे इसकी इजाजत नहीं दी थी। बोफोर्स मामले की फिर से जांच करने का सीबीआई का फैसला इस नजरिए से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि 18 अक्टूबर को उसने कहा था कि वह निजी जासूस माइकल हर्शमैन के दावों के अनुरूप बोफोर्स घोटाले के तयों और परिस्थितियों पर विचार करेगी। हर्शमैन ने आरोप लगाया है कि दिवंगत प्रधानमंत्री राजीव गांधी की अगुवाई वाली सरकार ने उनकी जांच में रोड़े अटकाए थे। बोफोर्स तोप सौदे की वजह से 1980 के दशक में देश की राजनीति में तूफान आ गया था। माना जाता है कि 1989 में कांग्रेस को इसकी वजह से सत्ता तक गंवानी पड़ी थी। इस मामले में आरोपी इटली के व्यवसायी ओत्तावियो क्वात्रोकी की गांधी परिवार से करीबी रिश्तों की भी काफी र्चचा रही थी।
द सहारा न्यूज ब्यूरोनई दिल्ली।
24 मार्च, 1986 : भारत और स्वीडन के हथियार निर्माता एबी बोफोर्स के बीच 155 एमएम की 410 बोफोर्स तोपों के लिए 1437 करोड़ रपए का करार हुआ।16 अप्रैल, 1987 : स्वीडन रेडियो ने दावा किया कंपनी ने भारतीय राजनेताओं को घूस दी।20 अप्रैल, 1987 : राजीव गांधी ने लोस में बताया कि बोफोर्स में कोई घूस नहीं दी गई है और ना ही इसमें कोई बिचौलिया शामिल था।6 अगस्त, 1987 : बोफोर्स सौदे में कथित घूसखोरी के आरोपों की जांच के लिए पूर्व केन्द्रीय मंत्री बी. शंकरानंद की अध्यक्षता में जेपीसी का गठन किया गया।फरवरी 1988 : भारतीय जांचकर्ताओं ने बोफोर्स की जांच के लिए स्वीडन का दौरा किया।18 जुलाई 1989 : जेपीसी ने रिपोर्ट सौंपी।नवम्बर 1989 : बोफोर्स सौदे में घूसखोरी के आरोपों के बीच हुए लोस चुनाव में कांग्रेस हारी।26 दिसम्बर 1989 : वीपी सिंह सरकार ने बोफोर्स कंपनी पर बैन लगा दिया।22 जनवरी, 1990 : सीबीआई ने एबी बोफोर्स के प्रेसिडेंट मार्टनि अब्दरे और बिचौलिए विन चड्ढा और हिन्दुजा ब्रदर्स के खिलाफ आपराधिक षडयंत्र रचने, ठगी, और फर्जीवाड़े के मामले दर्ज किये।फरवरी 1990 : भारत की तरफ से पहलीबार स्वीस सरकार को रोगेटरी लेटर भेजा गया।दिसम्बर 1992 : सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को पलटने के लिए दायर की गई याचिका को खारिज कर दिया।फरवरी 1997 : क्वात्रोच्चि के खिलाफ गैर जमानती वारंट और रेड कॉर्नर नोटिस जारी।मार्च-अगस्त 1998 : क्वात्रोच्चि की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की।22 अक्टूबर, 1999 : इस केस में पहली चार्जशीट एजेंट विन चड्ढा, रक्षा सचिव एसके भटनागर, मार्टनि अब्दरे के खिलाफ फाइल की।मार्च-सितम्बर 2000 : ट्रायल का सामने करने के लिए चड्ढा भारत आया और अपने इलाज के लिए दुबई जाने की इजाजत मांगी। लेकिन उसकी याचिका खारिज हो गई। अब्दरे के खिलाफ जुलाई में गैर जमानती वारंट जारी किया।दिसम्बर : क्वात्रोच्चि को मलयेशिया में गिरफ्तार किया गया लेकिन उसे इस शर्त पर जमानत दे दी गई कि वह देश छोड़कर नहीं जाएगा।अगस्त 2001 : भटनागर की मौत हो गई।दिसम्बर 2002 : भारत ने क्वात्रोच्चि के प्रत्यर्पण की मांग की लेकिन मलेशिया हाईकोर्ट ने भारत की अपील को खारिज कर दिया।जुलाई 2003 :भारत की तरफ से ब्रिटेन सरकार को रोगेटरी लेटर भेजकर क्वात्रोच्चि के बैंक अकाउंट्स को फ्रीज करने को कहा गया।फरवरी-मार्च 2004 : अदालत ने स्व. राजीव गांधी और भटनागर को आरोपों से बरी कर दिया और आईपीसी की धारा 465 के तहत बोफोर्स कंपनी के खिलाफ आरोप तैयार करने के निर्देश दिए। मलयेशिया की उच्चतम अदालत ने क्वात्रोच्चि को प्रत्यर्पण करने की भारत की मांग को खारिज कर दी।मई-अक्टूबर 2005 : दिल्ली हाईकोर्ट ने हिन्दुजा ब्रदर्स और एबी बोफोर्स के खिलाफ आरोपों को खारिज कर दिया। उसके बाद सीबीआई की तरफ से हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ 90 दिनों के अंदर अपील नहीं करने पर सर्वोच्च अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के वकील अजय अग्रवाल को इस केस में हाईकोर्ट के खिलाफ याचिका दायर करने को कहा।जनवरी 2006 : सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र और सीबीआई से क्वात्रोच्चि के बैंक अकाउंट्स फ्रीज करने को लेकर यथास्थिति बरकार करने को कहा। हालांकि, उसी दिन उसके अकाउंट्स से सारे पैसे निकाल लिए गए।फरवरी-जून 2007 : इंटरपोल ने क्वात्रोच्चि को अर्जेटिना के इगुआजु एयरपोर्ट पर गिरफ्तार किया। तीन महीने के बाद वहां के फेडरल कोर्ट ने पहली बार में ही भारत की तरफ से प्रत्यर्पण की अपील को खारिज कर दिया।फरवरी-मार्च 2011: मुख्य सूचना आयुक्त ने सीबीआई के ऊपर सूचना को छुपाने का आरोप लगाया। एक महीने बाद, दिल्ली के स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने क्वात्रोच्चि को केस से बरी करते हुए कहा कि देश अपनी कड़ी मेहनत से की गई कमाई को उसके प्रत्यर्पण पर और वहन नहीं कर सकता है क्योंकि अब तक उस पर 250 करोड़ खर्च हो चुके।अप्रैल 2012 : स्वीडन की पुलिस चीफ स्टेन लिंडस्ट्रोम ने माना कि उनके पास राजीव गांधी या फिर अमिताभ बच्चन के खिलाफ कोई सबूत नहीं हैं कि उन्होंने बोफोर्स घोटाले में पैसे लिए हैं। अमिताभ बच्चन का नाम पहली बार बोफोर्स घाटाले में एक पेपर में छपने के बाद आया और उनके खिलाफ केस दर्ज किया गया। लेकिन बाद में उन्हें निदरेष करार दिया गया।जुलाई 2013 : क्वात्रोच्चि की 13 जुलाई को मौत हो गई। 1 दिसम्बर 2016 : 12 अगस्त 2010 के बाद करीब छह वर्षो के लंबे अंतराल के बाद अग्रवाल की याचिका पर एक बार फिर से सुनवाई शुरू हुई।14 जुलाई 2017 : सीबीआई ने कहा कि वह बोफोर्स केस को दोबारा खोलने के लिए तैयार है अगर सुप्रीम कोर्ट इसकी इजाजत दे ।19 अक्टूबर 2017 : मिशेल माशर्मैन की तरफ से एक टेलीविज़न चैनल पर दिए गए इंटरव्यू के बाद सीबाआई ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि वह उन तयों और परिस्थितियों की जांच करेंगे जिसका बोफोर्स केस के संबंध में खुलासा किया गया है। उसमें मिशेल हाशर्मैन की तरफ से दी गई जानकारी भी शामिल होंगी।
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