भागवत सिखाता है युगधर्म

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Published on : 15 Oct, 17 13:10

भागवत सिखाता है युगधर्म भागवत के माध्यम से श्री कृष्ण का जीवन यह भी बताता है कि हमें अपनी संस्कृति और स्वधर्म को मान देना चाहिए यही आज का युगधर्म है जहाँ विश्व की माँ होती है, वहाँ विश्वेश्वर स्वयं चलकर आते हैं, गाय सम्पूर्ण विश्व की माता है, गाय के पंचगव्य का उपयोग पर्यावरण व स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत उपयोगी है । पर्यावरण की आवश्यकता संपूर्ण विश्व को है
यह बात विनायक नगर में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा में माँ नर्मदा तट से पधारी साध्वी श्री अखिलेश्वरी दीदी माँ ने कही आगे उन्होंने योगेश्वर श्रीकृष्ण के जीवन के प्रसंग बताते हुए कहा कि अपनी आठवीं संतान के रूप में वासुदेव बालगोपाल को नन्द बाबा के घर पहुँचा दिया जहां उनके घर 9 लाख गायें थी।
*श्रीकृष्ण की मटकी फोड़ नीति*
भगवान कभी भी अपने ब्रज का माखन ब्रज से बाहर नहीं जाने देते थे , गोपियों से कहा हमें पहेले खिलाओ और शेष बचे माखन को वानरों को खिलादो फिर भी बचता हो तो ब्रज की रज में डाल दो पर दुष्ट कंस के लिए मथुरा में माखन नहीं जायेगाl उन्होने अपने बालसखाओं के साथ मिलकर गोपीयों की मटकी इसीलिए फोड दीे जिससे माखन कन्स के यहां नही जाने पाए।
साध्वी श्री ने कहा कि जिस प्रकार श्रीकृष्ण अपने माखन को ब्रज से बाहर कंस के पास नही जाने देते थे तो हम क्यों अपने देश का धन चीन रूपी कंस के पास जाने दे, यदि हमें देश की सुरक्षा करनी है तो चीनी उत्पादों का बहिष्कार करके आस पास के उत्पादों को ही अपनाना होगा तभी अपना देश समृद्धशाली व सुरक्षित होगा।
साध्वी श्री ने कहा कि जब हम श्रीकृष्ण को मानते है तो हमें भी कृष्ण की तरह स्वावलम्बी नीति को अपनाते युगधर्म का पालन करना चाहिए। भारत की वस्तुओं बढ़ावा देना होगा। जिससे देश का आर्थिक विकास हो सके I

*श्रीकृष्ण द्वारा आतंक रूपी अहंकार का भंग*
साध्वी श्री ने श्रीकृष्ण द्वारा देवराज इन्द्र और ब्रम्हा का मोह भंग , कालियानाग का प्रसंग सुनाकर बताया कि जिस प्रकार कृष्ण ने ब्रम्हा व इन्द्र व कालियाका यह भ्रम तोड़ा कि वे ही सर्वशक्तिमान ,शक्तिशाली है।ठीक उसी प्रकार कृष्ण रूपी भारत भी,आतंक का भ्रम तोड़ने का प्रयास कर रहा है कि वे सर्वशक्तिशाली है पर वास्तविकता यह है कि हमारे कृष्ण रूपी भारत का कालिया नाग रूपी आतंक कुछ नहीं बिगाड़ सकता है ।

साध्वी श्री ने कहा कि जब हम श्रीकृष्ण को मानते है तो हमें भी कृष्ण की तरह स्वदेशी नीति को अपनाते हुए । स्वदेशी वस्तुओं बढ़ावा देना होगा। जिससे देश का आर्थिक विकास हो और I
समृद्धशाली बने।
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