सामाजिक समानता व मर्यादा का जीवन है श्री रामका

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Published on : 14 Oct, 17 09:10

उदयपुर , विनायक नगर , बड़गाँव में आयोजित श्री मद भागवत कथा के चौथे दिन नर्मदा तट से पधारी नर्मदा मैय्या की कृपापात्री साध्वी श्री अखिलेश्वरी दीदी माँ ने सूर्यवंश व चन्द्रवंश की महिमा का बखान करते हुए बताया सूर्यवंश के राजा नहुष, अमरीश, भागीरथ हरिश्चंद्र जैसे सत्यवादी वचन के पक्के राजा रघु जिनके कारण से कहावत बनी रघुकुल सदा रीत चली आई प्राण जाइ पर वचन न जाई उसी सूर्यवंश रघुकुल मे आराध्य श्री राम ने जन्म लिया।वनवास मिलने पर श्री राम ने लोगों के समरूप हो कर साधारण व्यक्ति की तरह 14 वर्ष वन में समरसतापूर्ण वनवासी स्वरूप में ही जीवन बिताया।
सामने वाले को भी अपने जैसा मानते हुए सम्मान पूर्वक व्यवहार का परिचय देते हुए न केवल केवट को आशीर्वाद दिया वरन निषादराज को भी को गले लगाया, अहिल्या जो तिरस्कार के कारण से जड़ वत हो गई थी उसे सम्मान देकर उन्हें उसमें चेतना जागृत की ,शबरी के हाथों बैर खाए व मां शबरी की भक्ति भावना से प्रसन्न होकर उसे ‘नवधा भक्ति’ प्रदान की। साध्वी श्री ने कहा कि वर्तमान समय में भगवान के आदर्शों को जीवन में अपना कर किसी से भी भेदभाव न करें और समरसता का व्यवहार करें।

*जन्म स्थान पर बने भव्य श्री राम मंदिर*
प्रसंग सुनाते हुए कहा कि भगवान का विग्रह आज भी टेंट में है और हम सुंदर सुसज्जित महलों में निवास करते हैं और हम सवा सौ करोड़ भारतवासियों के आराध्य श्रीराम का एक सुंदर मंदिर अयोध्या में बने यों तो विश्व में श्रीराम के लाखों मंदिर हैं लेकिन महत्व जन्म स्थान का है।

*श्री कृष्ण जन्मोत्सव*
कथा में चन्द्रवंश का वर्णन करने के साथ श्रीकृष्ण जन्मोत्सव पर बताया जीवन का आनंद आध्यात्मिक कार्य करने से आता है। । इसलिए सभी ने ग्वाल गोपियों सहित आकर वाणी से आनंद प्रकट करते आकर कहा कि "नंद के आनंद भयो जय
कनहैया लाल की "और कारे कारे तेरे नैना भजन पर झूमकर गाकर भावविभोर नृत्य से जन्मोत्सव बडे धूम धाम पूर्वक मनायाl

*पर्यावरण के प्रति जागरूकता व तुलसी के औषधीय महत्व हेतु पौधा लगा कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया।आज कथा के बाद सभी को तुलसी का पौधा वितरण किया गया।
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