कला संसार में साकार किया विश्व मैत्री का भाव

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Published on : 28 Sep, 17 08:09

10 देशों के नामचीन कलाकारों व भारतीय कलाकारों ने बनाई 20कलाकृतियां दिल्ली में लगेगी प्रदर्शनी, प्रधानमंत्री मोदी करेंगे उद्घाटन

 कला संसार में साकार किया विश्व मैत्री का भाव उदयपुर हम दिल के समंदर में ‘इंडिया’ साथ लेकर जा रहे हैं। अपने देश और दुनिया को कला के माध्यम से यह बताने जा रहे हैं कि भारत न सिर्फ एक खूबसूरत देश है, बल्कि यहां की कला, संस्कृति, समृद्ध पुरा वैभव और लोगों की आत्मीयता अतुलनीय, अद्भुत है। उन सबमें उदयपुर का प्राकृतिक परिवेश, झीलें, महल और समद्ध विरासत मन का सुकन देने वाली है। इस सृजनधर्मी देश को हमारा नमन है। यह कहना था दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों के संगठन (आसियान) के ख्यातनाम चित्रकारों का जो आसियान-भारत संबंधों की 25वीं वर्षगांठ के दस दिवसीय ऐतिहासिक जश्न के लिए झीलों की नगरी के मेहमान बने थे।
‘द अनंता’ में बुधवार शाम एक-दूसरे को अलविदा कहने जुटे आसियान देशों और भारत के ख्यातनाम कलाकारों के संगम ने वसुधैव कुटुम्बकम का सपना साकार किया। यहां पर जिए कुछ भावुक पलों को साझा किया तो रिश्तों की गर्माहट को दर्शाने वाली बातों के सहारे एक-दूसरे का शुक्रिया अदा किया। कला के जरिए वार्ता संबंधों की प्रगाढता दिखाई। भारत सरकार के विदेश मंत्रालय और सहर के तत्वावधान में यह आयोजन हुआ। आसियान के सदस्य देशों में इंडोनेशिया, सिंगापुर, फिलिपींस, मलेशिया, ब्रुनेई, थाईलैंड, कंबोडिया, लाओ पीडीआर, म्यांमार और वियतनाम के 1॰ और भारत के 1॰ आर्टिस्ट ने अपने कला संसार में विश्व मैत्री के भाव का साकार किया।
समापन अवसर पर सहर के फेस्टिवल डायरेक्टर संजीव भार्गव ने कहा कि ‘ओशियंस ऑफ ऑपर्च्युनिटीज’ यहां सच मायने में साकार हुआ। पीपुल टू पीपुल कॉन्टेक्ट में आसियान व भारत के आर्टिस्ट इतने ज्यादा आपस में घुल-मिल गए कि अब लगता ही नहीं कि वे समंदर पार के अलग-अलग देशों से आए हैं। इस डिप्लोमेसी को हमें हमेशा जारी रखना है। यही कला की ताकत है कि वह देशों की सीमाएं नहीं देखता, उससे पार सफर करता है, सैलानी बनकर। कला प्रारूपों की बेहद समृद्ध धरोहर और परंपरा से भरपूर आसियान देशों के विजुअल कलाकारों से हमने जो सीखा या जो वे हमसे सीख कर गए उसकी गूंज लोगों के दिलों में बरसों-बरस तक रहेगी।
देश की मशहूर आर्ट क्यूरेटर व आर्ट डिजाइनर प्रिया पॉल ने इस खास कार्यशाला में बनी सभी पेंटिंग्स को ‘पीढियों की धरोहर’ बताते हुए कहा कि थीम, कंपोजीशन, रंगों के प्रयोग और अभिव्यक्ति की शैली लाजवाब है। सब अपने देशों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं मगर सबकी सोच समंदर के रास्ते से एक-दूसरे से जुडी है। यही जुडाव हमारे दिलों में संवेदनशीलता जगाएगा, पूरे विश्व को भाईचारे के रंग में रंगेगा। डिप्लोमेसी अपनी जगह काम करती है मगर आर्ट और कल्चर के माध्यम से बने रिश्ते बहुत अनूठे, आत्मीय व कालजयी होते हैं।
विदेश मंत्रालय के डिप्टी सेक्रेटरी डॉ. मदन मोहन सेठी ने कहा कि आसियान से हमारे रिश्तों की बुनियाद बहुत मजबूत है। कला के माध्यम से उदयपुर में इसकी सशक्त अभिव्यक्ति हुई है। ये कलाकार जो सांस्कृतिक दूत बनकर अपने देशों में जाएंगे तो वहां पर हमारी ही माटी की खुशबू फैलाएंगे।
इन कलाकारों ने लिया हिस्सा
10 आसियान देशों के नामचीन कलाकार शिविर में हिस्सा लेने आए। इनमें चैन सोपहॉर्न (कंबोडिया), इकरो अखमद इब्राहिम लैली सुब्खी (इंडोनेशिया), कान्हा सिकोउनावोंग (लाओ पीडीआर), मोहम्मद शहरूल हिशाम बी. अहमद तरमीजी (मलेशिया), थेट नाइंग (म्यांमार), नाफाफोंग कुराए (थाईलैंड) और गुएन घिया फुओंग (वियतनाम), भारतीय कलाकार बिनॉय वर्गीस, फरहाद हुसैन, कलाम पटुआ, कियोमी लाइश्राम मीना देवी, महावीर स्वामी, समींद्रनाथ मजूमदार और तन्मय समांता शामिल थे।





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