यूसीसीआई में ई-वे बिल पर कार्यशाला का आयोजन

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Published on : 21 Sep, 17 12:09

यूसीसीआई में ई-वे बिल पर कार्यशाला का आयोजन उदयपुर,’’जीएसटी कर प्रणाली के तहत ई-वे बिल प्रक्रिया में खरीददार व्यापारी द्वारा माल रिजेक्ट कर देने पर क्या होगा ? रास्ते में वाहन के खराब हो जाने पर दुसरे वाहन से माल भेजने की स्थिति में क्या प्रक्रिया अपनानी होगी ? उदयपुर से अगरतल्ला माल भेजने में ६० दिन लगते है तथा ३ अथवा ४ ट्रांसपोर्टर बदलने पडते है, ऐसी स्थिति में ई-वे बिल के तहत क्या प्रक्रिया अपनानी होगी ? माल का निर्यात किये जाने की स्थिति में ई-वे बिल किसके नाम से जारी होगा ? रेलवे से माल भेजने पर ई-वे बिल हेतु क्या प्रक्रिया अपनानी होगी ?‘‘
उपरोक्त प्रष्न यूसीसीआई में आयोजित कार्यषाला के दौरान प्रतिभागियों द्वारा वाणिज्य कर विभाग के अघिकारियों से पूछे गये।
उदयपुर चेम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इण्डस्ट्री द्वारा यूसीसीआई भवन के पायरोटेक टेम्पसन्स सभागार में ई-वे बिल पर कार्यषाला का आयोजन किया गया। कार्यषाला में वाणिज्य कर विभाग के अधिकारियों द्वारा जीएसटी कर प्रणाली के तहत ई-वे बिल प्रक्रिया के विशय में प्रतिभागियों को जानकारी प्रदान की गई।
अध्यक्ष श्री हंसराज चौधरी ने वाणिज्य कर विभाग के अधिकारियों एवं कार्यषाला में उपस्थित प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कहा कि यूसीसीआई का यह प्रयास है कि संगठित क्षेत्र एवं असंगठित क्षेत्र के व्यवसायियों को जीएसटी कर प्रणाली के अनुरूप अपने व्यवसाय को ढालने हेतु सहायता एवं मार्गदर्षन प्रदान कर सक्षम बनाया जाये। श्री चौधरी ने कहा कि जीएसटी लागू हुए लगभग तीन माह की अवधि पूर्ण होने को आई है। जीएसटी कर प्रणाली से व्यापार पर क्या प्रभाव पडा है इसका आंकलन किया जाना जरूरी है। श्री हंसराज चौधरी ने दस व्यापारी खरीददार एवं विक्रेता के जोडे बनाकर जीएसटी कर प्रणाली के तहत उनके व्यावहारिक अनुभव का अध्ययन किये जाने का भी सुझाव दिया।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए वरिश्ठ उपाध्यक्ष श्री आषीश छाबडा ने ई-वे बिल प्रणाली के विशय में जानकारी प्रदान करने हेतु वाणिज्य कर विभाग की उपायुक्त श्रीमती नीतू भारद्वाज, सहायक आयुक्त श्री संजय विजय एवं सहायक आयुक्त श्री रविन्द्र जैन को आमंत्रित किया।
तकनीकी सत्र के दौरान ई-वे बिल प्रणाली के संदर्भ में जानकारी देते हुए सहायक आयुक्त श्री रविन्द्र जैन ने जानकारी दी कि विभिन्न उद्योग संघों एवं व्यापारिक एसोसिएषनों के सुझाव पर ही ई-वे बिल प्रणाली लागू की जा रही है। ई-वे बिल प्रणाली द्वारा बिना बिल के माल सप्लाई करने वाले व्यापारियों पर अंकुष लगाना है। किन्तु ई-वे बिल जारी होने का मतलब यह नहीं है कि माल की सप्लाई निष्चित रूप से हो गई। खरीददार द्वारा माल रिजेक्ट किया जा सकता है। श्री रविन्द्र जैन ने ई-वे बिल के संदर्भ में निम्नानुसार जानकारी दी ः

० कोई भी रजिस्टर्ड व्यापारी जीएसटी पोर्टल पर जाकर ई-वे बिल जनरेट कर सकता है।
० छोटी सप्लाई के लिये ई-वे बिल आवष्यक नहीं है।
० ५० हजार रूपये से अधिक के कन्साईनमेंट के परिवहन के लिये ही ई-वे बिल आवष्यक है।
० यदि ट्रांसपोर्टर कई व्यापारियों का माल एक साथ परिवहन कर रहा है तो मास्टर चालान में सभी माल के ई-वे बिल नं. अंकित करके परिवहन कर सकता है।
० ई-वे बिल जनरेट किये जाने के २४ घंटे में १०० किलोमीटर तक माल का परिवहन किया जा सकता है। १०० किलोमीटर से अधिक दूरी के लिये पांच दिन तक का समय एक मुष्त प्रदान किया जा सकता है। ई-वे बिल को बाद में भी आवष्यकता के अनुरूप संषोधित किया जा सकता है।
० २४ घंटे की अवधि में गलत जनरेट किये गये ई-वे बिल को निरस्त किये जाने का प्रावधान है।
० जिस खरीददार के नाम से ई-वे बिल जनरेट किया गया है, उक्त व्यापारी को पोर्टल के माध्यम से संदेष प्राप्त हो जायेगा। ७४ घंटे के भीतर खरीददार व्यापारी उक्त ई-वे बिल को स्वीकृत अथवा निरस्त कर सकता है।
० माल परिवहन के दौरान एक बार किसी राज्य में ई-वे बिल को चैक कर लिया गया है तो कर विभाग द्वारा पुनः वाहन को रोककर चैकिंग विषेश परिस्थिति में ही की जायेगी।
० भ्रश्टाचार पर अंकुष लगाने के लिये विभाग के अधिकारियों का इस प्रणाली में कम से कम दखल रहेगा। अधिकांष चैकिंग ऑन लाईन प्रणाली के माध्यम से की जायेगी।
० ऐसे दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में जहां इन्टरनेट की सुविधा उपलब्ध नहीं है, एसएमएस के माध्यम से विभाग द्वारा ई-वे बिल नं. जारी करने की सुविधा प्रदान की जायेगी।
० १५४ आईटम्स की सूचि विभाग द्वारा जारी की गई है, जिनके परिवहन के लिये ई-वे बिल आवष्यक नहीं है।
० अपंजीकृत डीलर से माल खरीदने पर ई-वे बिल वैकल्पिक है।
० चालान पर माल भेजने पर भी ई-वे बिल जरूरी है।

प्रष्नोत्तर काल के दौरान कार्यक्रम में उपस्थित प्रतिभागियों द्वारा रखे गये प्रष्नों का वाणिज्य कर विभाग के अधिकारियों द्वारा समाधान प्रस्तुत किया गया।
सप्लायर व्यापारी द्वारा खरीददार व्यापारी का मोबाईल नं. गलत फीड कर दिये जाने के प्रष्न के संदर्भ में अधिकारियों द्वारा जानकारी दी गई कि जीएसटी पोर्टल पर जाकर खरीददार व्यापारी का जीएसटीएन नं. फीड किये जाने पर ही ई-वे बिल जनरेट होगा।
कार्यषाला में औद्योगिक इकाईयों, व्यापारिक प्रतिश्ठानों से जुडे उद्यमियों एवं व्यावसायियों, चार्टर्ड अकाउन्टेन्ट्स, लेखा विभाग से जुडे अधिकारियों एवं कर्मचारियों, ट्रांसपोर्ट कम्पनियों एवं लॉजिस्टिक्स व्यवसाय से जुडे सेवा प्रदाताओं सहित लगभग १०० प्रतिभागियों ने भाग लिया।
कार्यक्रम के अन्त में उपाध्यक्ष श्री रमेष सिंघवी ने वाणिज्य कर विभाग के अधिकारियों तथा कार्यषाला में भाग लेने वाले प्रतिभागियों को धन्यवाद ज्ञापित किया।

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