‘‘सिजोफ्रेनिया’ के मरीजों में मौत का जोखिम तीन गुणा

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Published on : 19 Sep, 17 08:09

टोरंटो। जो लोग ‘‘सिजोफ्रेनिया’ बीमारी से ग्रस्त होते हैं उनकी मौत का जोखिम तीन गुणा बढ़ जाता है और कम उम्र में उनकी जान जाने की संभावना होती है।बीमारी महिलाओं, छोटी उम्र के, निम्न आय वर्ग के लोगों को होती है : ‘‘सिजोफ्रेनिया’ की प्रवृति को समझने के लिए कनाडा के ओंटारिया में 20 साल (1993-2012) में हुई 16 लाख से अधिक मौतों का अध्ययन कर यह निष्कर्ष निकाला गया है। उनमें 31,349 लोग इस बीमारी के मरीज थे। ऐसे देखा गया कि यह बीमारी महिलाओं, कम उम्र के लोगों, निम्न आय वर्ग वाले क्षेत्रों को अपने गिरफ्तर में लेती है।‘‘सिजोफ्रेनिया’ से उच्च मृत्युदर नजर आई है : अध्ययन के मुताबिक, जीवन प्रत्याशा बढ़ने के बावजूद ‘‘सिजोफ्रेनिया’ के रोगी आम लोगों की तुलना में लगभग आठ साल पहले ही गुजर जाते हैं। पिछले छोटे अध्ययनों में भी ‘‘सिजोफ्रेनिया’ से उच्च मृत्युदर नजर आई है। स्कैंडिनेविया और ऑस्ट्रेलिया जैसे दूसरे देशों से भी ऐसे अध्ययन सामने आए हैं।अध्ययन समानता का मुद्दा उठाता है : कनाडा के ‘‘इंस्टीट्यूट ऑफ क्लीनिकल एवैलूएटिव साइंसेज’ के पॉल कुर्दयाक ने कहा, यह अध्ययन समानता का भी मुद्दा उठाता है यानी कि ‘‘सिजोफ्रेनिया’ के रोगियों को जनस्वास्य एवं अन्य स्वास्य सुविधाओं का उतना लाभ नहीं मिल रहा है जितना बिना इस रोग के व्यक्तियों को मिलता है
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