धर्म क्रिया के लिए व्यक्ति बहुत संतोषीःनीलांजनाश्री

( 11740 बार पढ़ी गयी)
Published on : 09 Sep, 17 08:09

उदयपुर / साध्वी नीलांजना श्री ने कहा कि जीवन की गाडी लगातार दौड रही है। व्यक्ति बिना थके-रुके सतत परिश्रम पुरुषार्थ कर रहा है लेकिन ये सब संसार को पाने के लिए है। संसार उसी तरह उससे आगे दौडता जा रहा है। धर्म क्रिया के लिए उसके मन में कोई तडप का भाव नही है, वो बिल्कुल शांत है। एक सामायिक, एक पूजा के बाद वो सोचता है कि बहुत कर लिया।
वे शुक्रवार को दादाबाडी स्थित वासुपूज्य मंदिर में प्रवचन सभा को संबोधित कर रही थी। उन्होंने कहा कि उधर साधनों के विस्तार के लिएए संसार को पाने के लिए निरंतर मेहनत कर रहा है। जरूरी नही कि उसका सकारात्मक परिणाम आये। मिलता उतना ही है जितना भाग्य में है। सांसारिक साधनों के लिए निरंतरए रोजाना परिश्रम कर रहा है वहीं पूजा के मामले में एक बार करने के बाद कोई परिणाम नही आया तो तुरंत छोड देते हैं। महंगे से महंगा अच्छे से अच्छा बीज बोए यो भी १ दिन में फल नही मिल सकता। उसके लिए इंतजार भी करना ही पडता है। धरती बीज को अंकुरित करती है, पल्लवित करती है लेकिन उसके लिए इंतजार तो करना ही पडेगा। अध्यात्म के क्षेत्र में भी ऐसा ही है। इंतजार तो करना ही पडेगा। परमात्मा के दर्शन के लिए भी पुण्य का उदय चाहिए।
उन्होंने कहा कि यदि किसी का आपने भला किया है तो उसका लाभ मिल सकता है लेकिन परमात्मा का दर्शन करनाए पूजा करनाए उन्हें स्पर्श करना ये सब किसी उत्कृष्ट पुण्य का ही परिणाम है।

साभार :


© CopyRight Pressnote.in | A Avid Web Solutions Venture.