सबसे पहले राष्ट्र बाद में धर्म- समाजः आचार्य सुनील सागर

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Published on : 17 Aug, 17 08:08

सबसे पहले राष्ट्र बाद में धर्म- समाजः आचार्य सुनील सागर उदयपुर, 15 अगस्त को जैन समाज हूमड भवन में आजादी का स्वाधीनता महापर्व आचार्यश्री सुनील सागरजी महाराज के सानिध्य में धूम-धाम से मनाया गया। चारों और देशभक्ति के माहौल में रंगे हूमड भवन में सबसे पहले झण्डारोहण अध्यक्ष शांतिलाल वेलावत द्वारा किया गया। प्रातः 8.3॰ बजे राष्ट्रगान हुआ। इसके बाद श्री दिगम्बर जैन बालिका स्कूल एवं सेन्ट एन्थोनी स्कूल के विद्यार्थियों द्वारा राष्ट्रभक्ति गीतों एवं नृत्यों की भव्य प्रस्तुतियां दी गई। सेन्ट एन्थोनी स्कूल के बच्चों द्वारा बैण्ड पर कई देशभक्ति की धुने बजाई जिसे वहां के वातावरण में देशभक्ति का जोश भर गया और हर कोई देशभक्ति में डूब कर नृत्य की मुद्रा में आ गया।
जैन समाज के सक्षम लोग सब्सिडी त्यागेंः अध्यक्ष्यीय उद्बोधन में चातुर्मास कमेटी के अध्यक्ष शांतिलाल वेलावत ने कहा कि आमतौर पर जैन समाज सम्पन्न समाज माना जाता है। इस समाज में जो सम्पन्न हैं, सक्षम है और अगर उन्हें कोई भी सरकारी सब्सिडी या अन्य कोई सरकारी सुविधाओं का लाभ मिल रहा है तो उन्हें स्वैच्छा इसका त्याग कर देना चाहिये ताकि इसका लाभ समाज के किसी गरीब और वंचित को मिल सके। समारोह का संचालन एवं धन्यवाद की रस्म सुरेश पद्मावत द्वारा अदा की गई। सेन्ट एन्थोनी स्कूल के प्रिन्सिपल विलियम सर ने भी अपने विचार रखे। इस दौरान सकल दिगम्बर जैन समाज के सैंकडों जन उपस्थित थे। हूमड भवन व आस-पास के क्षेत्र के देशभक्ति के नारों से गूंज उठे।
सबसे पहले राष्ट्र बाद में धर्म- समाजः आचार्य सुनील सागरजी
इस अवसर पर आचार्य सुनील सागरजी महाराज ने धर्मसभा में कहा कि हमारे लिये सबसे पहले राष्ट्र है बाद में धर्म और समाज। हमें स्वतंत्रता रूपी मंजिल पाने में सैंकडों वर्ष लग गये, अनगिनत कुर्बानियां हुई, कई बलिदान हुए तब जाकर आज हम आजादी की खुली हवा में सांसें ले पा रहे हैं। महात्मा गांधी के प्रयासों से आजादी के आन्दोलन को एक नई दिशा मिली और अहिंसा और सत्य के बल पर आखिरकार हमें आजादी मिली।
आचार्यश्री ने कहा कि राष्ट्र सुरक्षित है तो धर्म और समाज भी सुरक्षित है। भगवान श्री राम ने दुनिया को मर्यादा का पाठ पढाया, भगवान श्री कृष्ण ने कंस रूपी अधर्म का नाश किया तो भगवान महावीर ने आत्मा को स्वतंत्र करने का पाठ पढाया।
आचार्यश्री ने कहा कि सीमा पर जवान, समाज में किसान ओर धर्म में साधु समाज आज भी देश की सेवा और रक्षा कर रहे हैं। आजादी के पर्व के दिन कोई न कोई एक संकल्प जरूर लें चाहे यह कि मैं न रिश्वत लूंगा न रिश्वत दूंगा तब भी देश की कितनी सेवा हो जाएगी। हम अपनी भाषा का सम्मान करें। लोग कहते हैं कि भारत देश पहले सोने की चिडिया हुआ करता है, लेकिन हम कहते हैं कि हमारा भारत देश आज भी सोने की चिडिया है क्योंकि हमारे यहां आज भी श्रेष्ट चाल- चरित्र, माधुर्य, प्रेम और स्नेह जिन्दा है।


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