उपभोक्ता एवं गैर-उपभोक्ता द्वारा विद्युत चोरी के प्रकरणों के संबंध में दिशा निर्देश जारी

( 8019 बार पढ़ी गयी)
Published on : 11 Aug, 17 08:08

अजमेर । डिस्काॅम्स अध्यक्ष श्री श्रीमत पाण्डे ने एक आदेश जारी कर अधिकारियों को निर्देशित किया है कि विद्युत अधिनियम 2003 के प्रावधानों के अनुरूप विद्युत चोरी के मामलों में प्रभावी कार्यवाही किया जाना आवश्यक है। साथ ही सतर्कता जांच में पारदर्शिता रखना एवं सतर्कता जांच प्रतिवेदन के दुरूपयोग को रोकना भी आवश्यक है। इन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए, विद्युत चोरी में लिप्त उपभोक्ता/गैर उपभोक्तओं के खिलाफ सख्त कार्यवाही तथा उपभोक्ताओं की शिकायतों की वीसीआर माॅनिटरिंग एवं रिव्यूईंग कमेटी के माध्यम से उचित सुनवाई की जाए।

उपभोक्ता द्वारा विद्युत चोरी के प्रकरणः-

अध्यक्ष डिस्काॅम ने निर्देश दिए कि उभोक्ता द्वारा विद्युत चोरी के प्रकरणों में प्राधिकृत अधिकारी द्वारा उपभोक्ता के परिसर की जांच करने पर यदि उपभोक्ता के परिसर में प्रथम दृष्ट्या विद्युत चोरी के साक्ष्य मिलते है, तो ऐसे प्रकरणों में विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 135 के अंतर्गत सतर्कता जांच प्रतिवेदन तैयार किया जाए। मीटर में दर्ज विद्युत करंट एवं मीटर की लोड लाईन में टोंग टेस्टर द्वारा मापा गया विद्युत करंट में अंतर पाया जाता है तो यह अपने आप में ही प्रथम दृष्ट्या विद्युत चोरी का पर्याप्त साक्ष्य माना जाए।

उन्होंने कहा कि विशेष परिस्थितियों में जहां उपभोक्ता द्वारा चोरी के साथ दुर्भावनापूर्ण निगम के ट्रांसफार्मर के मीटर बक्से की वैल्डिंग तोडना, सीटी-पीटी सैट व टीटीबी को गम्भीर रूप से क्षति पहुंचाना, निगम की लाईन से अवैध ट्रांसफार्मर जोडकर विद्युत चोरी करना एवं निगम के उपकरणों को गम्भीर क्षति पहुंचाना पाया जाता है तो ऐसे प्रकरणों को विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 135 के अतिरिक्त , धारा 138 के अन्तर्गत भी दर्ज किया जाकर, जांच प्रतिवेदन तैयार किया जाए। साथ ही जिन प्रकरणों में विद्युत चोरी के प्रथम दृष्ट्या साक्ष्य नहीं मिलते है, परन्तु उपभोक्ता द्वारा दुर्भावनापूर्ण ट्रांसफार्मर के मीटर बक्से की वैल्डिंग तोडना, सीटी-पीटी सैट व टीटीबी को गम्भीर रूप क्षति पहुंचाना, अवैध ट्रांसफार्मर एवं निगम के उपकरणों को गम्भीर क्षति पहुंचाना पाया जाता है तो ऐसे प्रकरण में प्राधिकृत अधिकारी द्वारा केवल विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 138 के तहत कार्यवाही की जाए।

उन्होंने निर्देश दिए कि विद्युत चोरी के मामलों में ऐसे अधिकारी/कर्मचारी, जिनकी भूमिका संदिग्ध पायी जाती है, उनके खिलाफ भी विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 150 के अंतर्गत कार्यवाही की जाए। विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 135 के अंतर्गत बनाए हुए जांच प्रतिवेदन पर दोषी उपभोक्ता का मौके पर विद्युत कनेक्शन आवश्यक रूप से विच्छेदित किया जाकर, यथा संभव मीटर व सर्विस लाईन को जब्त किया जाएगा एवं मौके पर उपभोक्ता को जांच प्रतिवेदन तथा फर्द जब्ती की प्रति उपलब्ध करवायी जाएगी। इसकी सूचना संबंधित फीडर इंचार्ज/कनिष्ठ अभिंयता को भी मोबाईल पर एमएमएस द्वारा दी जाए। कनिष्ठ अभियंता द्वारा यह सुनिश्चित किया जाए कि ऐसे उपभोक्ताओं का विद्युत संबंध प्रकरण की पूर्ण कार्यवाही होने तक विच्छेदित रहे। अगर उपभोक्ता वीसीआर/फर्द जब्ती की प्रति लेने से मना करता है तो ऐसी स्थिति में दोनों की प्रति चस्पा किया जाना सुनिश्चित करें। साथ ही जांच अधिकारी द्वारा सतर्कता जांच प्रतिवेदन एवं फर्द जब्ती की एक प्रति संबंधित विद्युत चोरी निरोधक पुलिस थाने में 24 घंटे की अवधि में आवश्यक रूप से सूचनार्थ भेजी जाए।

उन्होंने निर्देश दिए कि जांच अधिकारी द्वारा विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 135 के अन्तर्गत उपभोक्ता को विद्युत चोरी के प्रथम अपराध मे वैधानिक दायित्व एवं प्रशमन राशि की गणना की सूचना संबंधित सहायक अभियंता कार्यालय के मार्फत 24 घंटे के अन्दर लिखित में आवश्यक रूप से दी जाए, यदि उपभोक्ता वैधानिक दायित्व एवं प्रशमन राशि जमा कराना चाहे, तो बिना किसी समय सीमा के निगम के अधिकृत अधिकारी द्वारा जमा किया जा सकता है। ऐसे प्रकरण, जिनमें विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 135 के अन्तर्गत एफआईआर दर्ज हो चुकी है एवं उपभोक्ता उपरोक्त राशि जमा कराना चाहता है, तो अधिकृत अधिकारी उसकी राशि भी जमा करके संबंधित थाने में सूचना भेजना सुनिश्चित करें। यदि उपभोक्ता राशि जमा करवा देता है तो संबंधित सहायक अभियंता उसका कनेक्शन 48 घंटे की अवधि में पुर्नस्थापित किया जाना सुनिश्चित करेंगे।

ऐसे विद्युत चोरी के प्रकरण, जो कि विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 135 व 138 में दर्ज किए जाते है, उनमें भी यदि उपभोक्ता चाहे तो विद्युत चोरी के प्रथम अपराध के मामले में वैधानिक दायित्व एवं प्रशमन राशि जमा करा सकता है, जिससे उसका प्रकरण धारा 135 में कम्पाउण्ड हो जाएगा एवं नियमानुसार विद्युत संबंधी पुर्नस्थापित किया जा सकेगा, लेकिन धारा 138 के तहत विधिक कार्यवाही जारी रहेगी। यदि उपभोक्ता 7 दिवस में वैधानिक दायित्व एवं प्रशमन राशि जमा नहीं कराता है तो चैकिंग अधिकारी संबंधित विद्युत चोरी निरोधक पुलिस थाने को आरोपी के विरूद्ध उचित विधिक कार्यवाही हेतु सूचित करेंगे।

गैर-उपभोक्ता द्वारा विद्युत चोरी के प्रकरणः-

अध्यक्ष डिस्काॅम्स ने गैर उपभोक्ता द्वारा विद्युत चोरी के प्रकरणों मंे निर्देश दिए कि ऐसे गैर उपभोक्ता, जो निगम की लाईन से सीधे तार जोडकर विद्युत चोरी में लिप्त पाए जाते है उनकी सतर्कता जांच प्रतिवेदन विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 135 के तहत तैयार करके मौके पर अनाधिकृत तार आवश्यक रूप से जब्त किये जाए। गम्भीर प्रकरणों जैसे अनाधिकृत ट्रांसफार्मर को निगम की विद्युत लाईन से जोड कर विद्युत चोरी करना, अवैध समानान्तर विद्युत लाईन डालकर विद्युत चोरी करना आदि में विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 135 व 138 दोनों के अन्तर्गत प्रतिवेदन तैयार किये जाए। चोरी में लिप्त गैर उपभोक्ता का मौके पर सतर्कता जांच प्रतिवेदन तैयार करके उसकी एक प्रति (वैधानिक दायित्व एवं प्रशमन राशि की गणना एवं मौके के साक्ष्य सहित) संबंधित विद्युत चोरी निरोधक पुलिस थाने में 24 घंटे की अवधि में आवश्यक रूप से सूचनार्थ भेजनी होगी।

गैर उपभोक्ता द्वारा विद्युत चोरी के प्रथम अपराध में वैधानिक दायित्व एवं प्रशमन राशि जमा कराने पर उसका प्रकरण कम्पाउण्ड हो जाएगा एवं वह विधिक कार्यवाही से मुक्त हो जाएगा। गैर उपभोक्ताओं के विद्युत चोरी के प्रकरण संबंधित थाने में आने के बाद उनके अंतिम निस्तारण की जिम्मेदारी संबंधित थाना अधिकारी की होगी। संबंधित थानाधिकारी गैर उपभोक्ताओं के प्रकरण में प्राथमिकता से मुकदमा दर्ज कर सख्त कार्यवाही सुनिश्चित करें।

---000---
साभार :


© CopyRight Pressnote.in | A Avid Web Solutions Venture.