’पूर्व प्रसव के कारण हुए दुलर्भ यूरो-गायनिक फिस्टूला का सफल इलाज‘

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Published on : 02 Aug, 17 10:08

’पूर्व प्रसव के कारण हुए दुलर्भ यूरो-गायनिक फिस्टूला का सफल इलाज‘ पूर्व में हुए प्रसव की जटिलताओं के कारण मूत्राषय व गर्भाषय आपस में जुड गए थे जिसका बेहतर इलाज अधिकतर गर्भाषय को ऑपरेषन से हटा कर ही किया जाता है। परंतु गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल, उदयपुर के यूरोलोजिस्ट डॉ विष्वास बाहेती व डॉ पंकज त्रिवेदी, स्त्री एवं प्रसुति विभाग की डॉ स्म्तिा बाहेती, एनेस्थेटिस्ट डॉ नवीन पाटीदार एवं डॉ नगेंद्र ने ऑपरेषन द्वारा दोनों को सफलतापूर्वक अलग किया। इस बिमारी को वेसिको-यूटराईन फिस्टूला कहते है जो कि अत्यन्त दुलर्भ यूरो-गायनिक फिस्टूला होता है।


डॉ विष्वास ने बताया कि पिंडवाडा निवासी बेबी देवी (उम्र ४० वर्श) के दूसरे बच्चे के प्रसव के दौरान संदंष की मदद से बच्चे को बाहर निकाला गया। इस कारण रोगी की गर्भाषय व मूत्राषय आपस में जुड गए। और दोनों के बीच में एक रास्ता बन गया था जिससे मासिक धर्म के दौरान खून का बहाव योनि से न हो कर सीधा मूत्राषय से पिषाब के साथ बाहर आ रहा था। इस रोगी के गर्भाषय का मुँह भी बंद था। इस परेषानी से रोगी कुछ आठ साल से जूझ रही थी। गीतांजली हॉस्पिटल में परामर्ष के बाद सीटी स्केन की जांच से वेसिको-यूटराईन फिस्टूला नामक बिमारी का पता चला। इस बिमारी का बेहतर इलाज अधिकतर गर्भाषय को ऑपरेषन से हटा कर ही किया जाता है। पर डॉक्टरों की टीम ने फिस्टूला को सफलतापूर्व रिपेयर कर गर्भाषय व मूत्राषय को अलग किया। एवं गर्भाषय के बंद मुँह को भी विस्तृत कर खोला ¼ Cervical Dilatation ½A इस ऑपरेषन में ४ घंटें का समय लगा। पूर्व में हुए प्रसव की जटिलता के कारण ही रोगी को यह बिमारी हुई थी। यह यूरो-गायनिक फिस्टूला बहुत ही दुलर्भ होता है।
इस बिमारी का इलाज भी जरुरी था अन्यथा रोगी के मासिक धर्म के दौरान खून का बहाव योनि से न हो कर सीधा मूत्राषय से पिषाब के साथ ही बाहर आता रहता। और साथ ही वह गर्भधारण करने में अक्षम हो जाती। डॉ बाहेती ने बताया कि इस फिस्टूला को रिपेयर भी करा जा सकता है जिससे निकट भविश्य में गर्भावस्था के लिए कोई परेषानी न हो।
क्या होता है वेसिको-यूटराईन फिस्टूला ?
डॉ बाहेती ने बताया कि वेसिको-यूटराईनक फिस्टूला एक ऐसी स्थिति होती है जिसमें गर्भाषय व मूत्राषय आपस में चिपक जाते है। और दोनों के बीच में एक रास्ता बन जाता है जिससे मासिक धर्म के दौरान खून का बहाव योनि से न हो कर सीधा मूत्राषय से पिषाब के साथ बाहर आता है। और महिला रोगी गर्भ धारण करने में अक्षम हो जाती है।

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