लोकधर्मी कवि थे महाकवि तुलसी

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Published on : 02 Aug, 17 08:08

तुलसी जयंती पर विचार एवं काव्य गोष्ठी आयोजित

लोकधर्मी कवि थे महाकवि तुलसी देवीसिंह बडगूजर जोधपुर। महाकवि गोस्वामी तुलसीदास लोकधर्मी कवि थे। उन्होंने भगवान राम की कथा को सरल भाषा में लिखकर उसे जनमानस तक पहुंचाने का काम किया। यह विचार राज्य सूचना एवं जनसम्फ विभाग के पूर्व अधिकारी मोहनलाल गुप्ता ने लाल सागर स्थित हनवंत आदर्श विद्या मंदिर में संस्कार भारती जोधपुर प्रांत एवं साहित्यकार मंच के साझा मेजबानी में आयोजित गोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि व्यक्त किये। इस अवसर पर विचार के साथ काव्य गोष्ठी का आयोजन भी किया गया।
गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार श्याम सुन्दर भारती ने कहा कि तुलसी के संघर्षमय जीवन से बच्चों को सीख लेनी चाहिए और भगवान राम व तुलसी के चरित्र को जीवन में अंगीकार करना चाहिए। गोष्ठी में संस्कार भारती जोधपुर प्रांत के कोषाध्यक्ष किशोरी लाल सोनी एवं कवि-गीतकार दिनेश सिंदल ने भी विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम के प्रारम्भ में विद्या मंदिर के बच्चों ने सरस्वती वन्दना प्रस्तुत की और प्राचार्य मनोहरसिंह ने अतिथियों का माल्यार्पण कर स्वागत किया।
इस अवसर पर आयोजित काव्य गोष्ठी का आगाज गीतकार दिनेश सिंदल ने ‘गाएगी ये जुबां इस वतन के लिए’ सस्वर गीत प्रस्तुत कर राष्ट्रीय चेतना की अलख जगायी। गोष्ठी में वरिष्ठ कवि श्याम सुन्दर भारती ने ‘समाहित धर्म इसमें, धर्म का सार रामायण’, शैलेन्द्र ढड्डा ने ‘जो पास पडा रह जाता है-वो खो जाता है’, युवा कवयित्री प्रियदर्शनी वैष्णव ने ‘जीवन के इस महासमर में कभी नहीं, जो हारी है-ये भारत की नारी हैं’, वाजिद हसन काजी ने राजस्थानी कविताएं तथा दिनेश गहलोत ने ‘सुनो कबीरा-सुनो फकीरा’ गीत मधुर कंठ से पेश कर उपस्थित विद्यार्थियों को भाव विभोर कर दिया। वहीं संस्कार भारती के पूर्व प्रांतीय अध्यक्ष ललितेश शर्मा ने गीत भजन प्रस्तुत किये। कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ रंगकर्मी जितेन्द्र जालोरी एवं आभार मजाहिर सुल्तान जई ने किया।

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