फोर्ब्स इण्डिया टॉप ५० कम्पनी की सूची में हिन्दुस्तान जिंक

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Published on : 26 Jul, 17 09:07

फोर्ब्स इण्डिया की सूची में राजस्थान की एकमात्र तथा प्राकृतिक संसाधन कंपनी में भी एकमात्र कंपनी हिन्दुस्तान जिंक

फोर्ब्स इण्डिया टॉप ५० कम्पनी की सूची में हिन्दुस्तान जिंक फोर्ब्स इण्डिया ने ५० शीर्ष भारतीय कंपनियों की सूची जारी की है जिसमें एकमात्र प्राकृतिक संसाधन कंपनी के रूप में हिन्दुस्तान जंक को शामिल किया गया है। फोर्ब्स इण्डिया ने हिन्दुस्तान जिंक पर प्रकाश डालते हुए अयस्क के फायदे, लागत पर नियंत्रण, अधुनातन टेक्नोलॉजी का उपयोग तथा त्वरित रूप से एकीकृत परिचालनों को अपनाना, कंपनी के मुख्य आकर्षण के रूप में केन्दि्रत किया गया है।

हिन्दुस्तान जिंक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री सुनिल दुग्गल ने खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि ’’हिन्दुस्तान जिंक फोर्ब्स इण्डिया सुपर ५० कंपनियों की सूची २०१७ में शामिल होने से अति प्रसन्नता हो रही है। हमारी मुख्य दक्षता लागत पर नियंत्रण और उत्पादन मात्रा में वृद्धि करना है। समय-समय पर भारत में जस्ता की खपत कई बार बढी है। श्री दुग्गल ने बताया कि बुनियादी ढांचा, सौंदर्य प्रसाधन, दवाइयाँ, पेंट, रबर, सर्जिकल उपकरण, प्लास्टिक, वस्त्र, साबुन और बैटरी जैसे बाजारों में जस्ता के उपयोग के साथ ही विस्तार किया गया है।‘‘

श्री सुनील दुग्गल ने कहा कि ’’जंग का सुरक्षा पर सीधा प्रभाव पडता है जिससे रेलवे जैसे क्षेत्रों, तटीय क्षेत्रों के आस-पास आधारभूत ढांचे, ऑटोमोबाइल और ऊर्जा क्षेत्रों पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है।‘‘

तटवर्ती इलाकों के निकट विशेष रूप से निर्मित ठोस सरचनाओं की गिरावट के लिए प्रमुख कारणों में से जंग एक है। नमी के साथ तटीय लवण से प्रभावित धातु सतहों से इमारतों में प्रवेश कर इमारत को नुकसान पहुंचाते हैं। मूल रूप से कहना है कि जब स्टील को जंग लग जाता है, तो स्टील का घनत्व बढ जाता है जिससे स्ट्रक्चर में दरारें आ जाती है, जो बाद में पतन का कारण बन सकती है।

एक और महत्वपूर्ण क्षेत्र है ऑटोमोबाइल जिस पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। भारतीय कार निर्माता घरेलू बाजार में निर्मित कारों के लिए लगभग ३ प्रतिशत गेलवनाईज का उपयोग करते हैं। यद्यपि एक भारतीय कार निर्माता उसी मॉडल की कारों के लिए ७० प्रतिशत गेलवनाईज का उपयोग करती हैं। ज्ञातव्य रहे कि यूरोप, उत्तरी अमेरिका, कोरिया और जापान में कार निर्माता दशकों से कार बॉडी पैनलों के लिए गेलवनाईज का उपयोग कर रहे हैं और कम से कम १० वर्षों की जंग की गारंटी भी प्रदान करते हैं। जबकि भारतीय उपभोक्ताओं के लिए बनाई जाने वाली अधिकांश कारों के लिए ऐसी कोई सुरक्षा नहीं है। भारत में ६० प्रतिशत से अधिक कारों की सतह पर जंग लगा है जो स्टील की मजबूती और कार की लाईफ को कम कर देता है जिससे सुरक्षा के लिए खतरा उत्पन्न होता है। सबसे बडी बात यह है कि इसके लिए न तो कोई सरकारी पॉलिसी है और न ही उपभोक्ताओं को इन मानकों के बारे में जानकारी है।

इसी प्रकार रेलवे की पटरियों का गैलेवेनाईजिंग केवल रेल गाडयों की सुरक्षा के लिए ही नहीं बल्कि रेलवे ट्रेक्स की भी ज्यादा लाईफ बढाता है। १२५,००० किलोमीटर से ज्यादा फैले भारत में रेल पटरियां विश्व का तीसरा सबसे बडा समूह है। जंग रहित रेल पटरियों के पूर्व-प्रतिस्थापन के कारण ४५० करोड रुपये का वार्षिक नुकसान होता है। कई दुर्घटनाओं के लिए फिश-प्लेटों को जिम्मेदार माना गया है। न सिर्फ फिश-प्लेटें बल्कि बोल्टों को भी सुरक्षा की जरूरत है जो जंग से सुरक्षा करती है। विशेषज्ञों के अनुसार जंग के कारण प्रतिवर्ष लगभग ४ प्रतिशत जीडीपी का नुकसान हो रहा है जो रेलगाडयों में गेलवनाईज के माध्यम से रोका जा सकता है।

जब भारत स्मार्ट सिटीज प्रोजेक्ट, डिजिटल इण्डिया और मेक इन इण्डिया जैसी परियोजनाओं का संचालन कर रहा है तो ऊर्जा क्षेत्र और ग्रामीण विद्युतीकरण पर अधिक जोर दिये जाने की जरूरत है। हाई वोल्टेज लाइनों के आगमन के बाद से इलेक्ट्रिक यूटिलिटी मार्केट में हॉट डिप गेलवनाईज स्टील का उपयोग किया गया है। भावी पीढी की सुविधा, सबस्टेशन, टॉवर और नवीनीकरणीय ऊर्जा घटकों में गेलवनाईज्ड किसी भी वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए रीढ की हड्डी है। जब भारत हर बुनियादी ढांचा के आधार पर प्रत्येक गांव में बिजली उपलब्ध कराने के लिए प्रयासरत है तो बिजली ट्रांसमिशन को कई सालों तक सुरक्षित रखने की जरूरत है।

दुनिया भर में लगभग ५० प्रतिशत जस्ता खनित का गेलेवेनाईजिंग में उपयोग, १७ प्रतिशत जस्ता मिश्र धातु के लिए, १७ प्रतिशत पीतल और कांस्य बनाने के लिए, ६ प्रतिशत जस्ता सेमी-मैन्यूफेक्चरिंग में, ६ प्रतिशत रसायनों में और अन्य विविध प्रयोजनों के लिए ४ प्रतिशत का उपयोग किया जाता है।


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