साहित्य का अद्य‘‘ विषयक संगोष्ठी सम्पन्न

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Published on : 21 Jul, 17 10:07

उदयपुर / राजस्थान साहित्य अकादमी की ओर से ‘‘साहित्य का अद्य’’ विषयक संगोष्ठी का आयोजन गुरुवार को राजस्थान साहित्य अकादमी कार्यालय सभागार में किया गया। आयोजन के मुख्य अतिथि मोहललाल सुखाडि़या विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. जे.पी.शर्मा ने इस अवसर पर कहा कि साहित्यकार बहुत संवेदनशील होता है तथा समाज की समस्त संवेदनाओं को समाजपटल पर रखता है। साहित्यकार की सक्रियता से ही समाज गतिशील होता है। यदि साहित्यकार निष्क्रिय हो तो समाज में ठहराव आ जाता है।

प्रारम्भ में विषय प्रवर्तन करते हुए अकादमी अध्यक्ष इन्दुशेखर ‘तत्पुरुष’ ने कहा कि साहित्य मनुष्य की संवेदनाओं को विस्तार देता है , सौन्दर्य चेतना का परिष्कार करता है और भाषा का संस्कार करता है। साहित्य भाषा में व्याप्त जटिलता को सरलता और अर्थवत्ता से एकसाथ जोड़ता है। साहित्यकार की रचना में ही वह सामर्थय होता है कि वो छोटे से छोटे विषय पर भी बड़ी रचना कह जाता है।

विषयवक्ता के रूप में प्रो.के.के.शर्मा ने कहा कि साहित्य समाज का दर्पण नहीं होता बल्कि उससे ज्यादा कुछ बता देने वाला माध्यम है। साहित्य संवेदनाओं को विस्तार देता है। आज ‘अद्य’ की व्याप्ति अतीत में भी है और भविष्य में भी गतिशील है। सुखाडि़या विश्वविद्यालय के हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. माधव हाड़ा ने कहा कि आज का हमारा समय और समाज बड़ा विचित्र है। आज का समाज कई शताब्दियां एक साथ जी रहा है। साहित्य में समाज अलग तरह से चित्रित होता है और हकीकत में अलग। पहले शब्द साहित्य की ताकत था तथा दृश्य भी शब्द में शामिल था किन्तु आज दृश्य पहले से मौजूद है। आज साहित्य के सामने कई तरह के अनुशासन और चुनौतियां है।

संवाद अन्तर्गत सर्वश्री सुरेन्द्रसिंह राठौड़ , डॉ. देवेन्द्र इन्द्रेश, डॉ. अनुश्री राठौड़, गौरीकान्त, जगदीश आकाश, श्रीकृष्ण मोहता आदि ने भाग लिया। इस संवाद संगोष्ठी में नगर के वरिष्ठ साहित्यकार सर्वश्री डॉ. गिरीशनाथ माथुर, डॉ. ज्योतिपुंज, श्रेणीदानचारण, इकबाल हुसैन इकबाल, श्रीमती किरणबाला जीनगर, डॉ. ममता जोशी, डॉ. मंजू चतुर्वेदी, तरुण दाधीच, भगवान लाल प्रेमी, पुष्कर गुप्तेश्वर, मनमोहन मधुकर, हुसैनी बोहरा, डॉ. मधु अग्रवाल आदि की गरिमामय उपस्थित रही। कार्यक्रम का संचालन डॉ. कुंजन आचार्य ने किया जबकि धन्यवाद अकादमी सचिव डॉ. विनीत गोधल ने दिया।
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