१०० विद्यार्थियों को कृषि कार्यानुभव हेतु रवाना

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Published on : 13 Jul, 17 08:07

१०० विद्यार्थियों को कृषि कार्यानुभव हेतु रवाना उदयपुर राजस्थान कृषि महाविद्यालय, उदयपुर के बी.एस.सी. (कृषि) चतुर्थ वर्ष के १०० विद्यार्थियों को कृषि कार्यानुभव हेतु महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के कुलपति प्रोफेसर उमा शंकर शर्मा ने हरी झण्डी बताकर बसों द्वारा रवाना किया ।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति न विद्यार्थियों को अनुशासित रहते हुए महाविद्यालय की ओर से एम्बेसेडर के रूप में कृषक परिवारों के साथ कार्य करने की सलाह दी । उन्होने यह भी कहा कि विद्यार्थियों के लिये कृषि विज्ञान केन्द्रों के माध्यम से कृषक समुदाय के साथ रह कर उनके द्वारा अपनाई जा रही कृषि तकनीकी को बारीकी से देख कर सीखने का सुअवसर है । उन्होने यह भी विद्यार्थियों को सलाह दी कि किसान भाईयों के पास कृषि तकनीकी का अथाह भण्डार है, जिसको आप मर्यादा में रह कर प्राप्त कर सकते हैं, जो विद्यार्थियों के भविष्य के लिये काफी उपयोगी सिद्ध होगा । उन्होने यह भी बताया कि हमारे विश्वविद्यालय के करीब ९० प्रतिशत विद्यार्थियों को विभिन्न कृषि आधारित उद्योगों एवं संस्थानों में रोजगार मिल रहा है । उन्होने विद्यार्थियों से यह भी आह्वान किया कि यदि ईमानदारी से रावे कार्यक्रम के अन्तर्गत प्रशिक्षण प्राप्त करेगें तो आपको भी वह उद्योग रोजगार प्रदान करेगा ।
इस कार्यक्रम के दौरान महाविद्यालय के अधिष्ठाता प्रो० आर० स्वामिनाथन् ने बताया कि इस सत्र में ३४ छात्राऐं एवं ६६ छात्र हैं, जो राजस्थान के बाँसवाडा, डगरपुर, प्रतापगढ, चित्तौडगढ, भीलवाडा एवं राजसमन्द जिलों के कृषि विज्ञान केन्द्रों पर भेजे जा रहे हैं । ये विद्यार्थी छः सप्ताह तक इन जिलों में किसानों से संवाद कर उनके द्वारा अपनाई जा रही कृषि तकनीकी के बारे में ‘‘कार्य करके सीखने‘‘ की पद्धति पर अनुभव प्राप्त करेगें । प्रो० स्वामिनाथन् ने आश्वस्त किया कि रावे कार्यक्रम को सफल बनाने के लिये महाविद्यालय द्वारा सभी सुविधाऐं मुहैया कराई जावेगी ।

इस कार्यक्रम में समन्वयक प्रोफेसर फतह लाल शर्मा, विभागाध्यक्ष, प्रसार शिक्षा विभाग ने बताया कि रावे कार्यक्रम के तहत विद्यार्थी कृषि विज्ञान केन्द्रों के अधिकारियों के मार्ग-दर्शन में किसान परिवारों की सामाजिक, आर्थिक स्थिति का विशलेषण करना, किसानों द्वारा अपनाई जा रही तकनीकी का अध्ययन करना, किसानों द्वारा कृषि में महसूस की जा रही बाधाओं का पता लगाना, किसानों के फार्म प्लान तैयार करना, किसान परिवारों का बजट बनाना जैसी कई गतिविधियों का किसान परिवारों के साथ रहकर गहनता से अध्ययन करेगें । कृषि विद्यार्थियों द्वारा महाविद्यालय में तीन वर्षो तक विभिन्न विषयों में ज्ञान अर्जित किया है उसको चतुर्थ वर्ष में कृषि कार्यानुभव कार्यक्रम के तहत किसानों के साथ आदान-प्रदान करने का सुअवसर प्राप्त होता है । इस कार्यक्रम को पूर्ण करने के पश्चात् महाविद्यालय में विद्यार्थियों द्वारा प्रतिवेदन, फिल्म, फोटोग्राफस एवं मॉडल के माध्यम से विस्तृत प्रस्तुतीकरण दिया जावेगा । डाँ० शर्मा ने बताया कि कृषक आधारित प्रशिक्षण के बाद विद्यार्थियों को एग्रो आधारित इण्डस्ट्रीज में १२ सप्ताहों के लिए प्रशिक्षण हेतु भिजवाया जावेगा ।

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