कम लागत का कृषियंत्रो के विकास की आवष्यकता

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Published on : 11 Jul, 17 08:07

एमपीयूएटी मे उच्च स्तरीय मुल्यांकन समिति का दौरा

उदयपुर महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के अभियान्त्रिकी महाविद्यालय में संचालित विभिन्न अंखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजनाओं के मूल्यांकन हेतु भारतीय कृषि अनुसंधान परिशद् नई दिल्ली द्वारा गठित क्यूआरटी कमेटी में विश्वविद्यालय का दौरा किया। उल्लेखनीय है कि प्रत्येक ५ वर्श में एक बार यह दल अनुसंधान परियोजनाओं का मुल्यांकन करता है।
सोमवार को मूल्यांकन के पहले दिन कृषि अनुसंधान निदेषालय में आयोजित बैठक में विभिन्न परियोजना समन्वयको ने अपने अनुसंधान कार्यो का लेखाजोखा पावर पोईन्ट के जरिये बताया। कार्यक्रम के प्रारम्भ में अनुसंधान निर्देषक डॉ. एस.एस. बुरडक ने कमेटी के माननीय सदस्यों एवं विभिन्न केन्दों से आये परियोजना समन्वयको का स्वागत किया। उन्होंने कहां कि कृषि के विकास एवं विभिन्न कृषि कार्यो में लागत को कम करने एवं कृशक की कार्य क्षमता को बढाने के लिये कृषि अभियान्त्रिकी एवं ऊर्जा के विभिन्न स्त्रोतो का उचित उपयोग आवष्यक हैं।
क्यूआरटी मूल्यांकन के समन्वयक डॉ. अभय कुमार मेहता ने बताया कि पांच सदस्यीय दल की अध्यक्षता प्रो. गजेन्द्र सिंह पूर्व कुलपती एवं उपमहानिदेषक (कृषि अभियान्त्रिकी), आईसीएआर कर रहें है तथा दल के अन्य सदस्य डॉ. सुरेन्द्र सिंह, डॉ. एम.के गर्ग, डॉ. दुरई राज एवं डॉ. के.एन. अग्रवाल है।
विभिन्न केन्द्रो के तकनिकी प्रदर्षन के दौरान क्यूआरटी दल ने सीटीआई में विकसित संवेदक आधारित परिवर्तन दर के स्प्रेयअर, पौध रोपण व्यवस्था युक्त मल्चिंग मषीन, पेडल चालित, मक्का छीलक यंत्र, पेड से नांरगी तोडने की मषीन एवं फार्म मषीनरी विभाग में विकसित उचित पेडल चालन दर (५० से ६० आरपीएम) की सराहना की।
मूल्यांकन समिति ने विभिन्न परियोजनाओं की कार्य योजना एवं षोध कार्यो को देख कर विभिन्न सिफारिषे भी की जिन में प्रमुख है-
विभिन्न अनुसंधान केन्द्रों पर ऐसे कृषि उपकरण विकसित किये जाये जो कि किसान वहन कर सकें एवं किसानोंपयोगी साबित हों।
विभिन्न षोध परिणामों का परिमाण निर्धारित किया जाना चाहिए।
केन्द्र पर विकसित हेण्डडिबलर का निर्माण स्थानिय स्तर पर किया जाना चाहिए।
फार्म मषीनरी किसानों की पहुंच में होनी चाहिए।
वाहन आधारित फसल कटाई यंत्र एवं षक्ति चालित खरपतवार उखाडने की मषीन को कम्पन निरोधी बनायें या कम्पन कम करने का प्रयास करें।
छोटे किसानों जिनके पास एक या दो बैल हैं उनके वहन करने योग्य कम लागत का कृषि यंत्रो का विकास किया जाना चाहिए।
अभियांत्रिकी महाविद्यालय के फार्म मषीनरी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. एस.एम. माथुर ने बताया कि इस मूल्यांकन में सीटीएई उदयपुर के अलावा बीकानेर एवं गुजरात के जुनागढ एवं स्पेरी केन्द्रों पर संचलित सम्बन्धित परियोजनाओं का मूल्यांकन किया जा रहा है। इसमें फार्म इम्पिलिमेंटेषन मषीनरी के परियोजना अन्वेशक डॉ. एस.एम. मााथुर, पषु ऊर्जा अभियांत्रिकी के डॉ. जी.एस. तिवारी, कृषि में ऊर्जा आवष्यकताओं के लिए डॉ. एम.एल. ंपंवार नविकरणीय ऊर्जा के लिये डॉ. दीपक षर्मा एवं कृषि में श्रम दक्षता अनुसंधान परियोजना के लिए डॉ. अभय कुमार मेहता ने प्रजेन्टेषन दिया। मंगलवार को मुल्यांकन समिति सर्वप्रथम सीटीआई के विभिन्न भागों एवं परियोजनाओं के तहत् विकसित विभिन्न तकनिकों एवं मषीनों का अवलोकन करेंगी। उसके बाद रेलमगरा के मदारा गांव में किसान प्रक्षेत्र, इण्डस्ट्रिील के तहत् सोलर टनल ड्रायर एवं यंत्र निर्माताओं की वर्क षॉप इत्यादि का दौरा करेगी।


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