शिक्षा के निजीकरण का विरोध

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Published on : 28 Jun, 17 11:06

अजमेर/ राजस्थानप्राइवेट एजुकेशन एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष कैलाशचंद शर्मा ने चिकित्सा के बाद शिक्षा का निजीकरण किए जाने का आरोप लगाते हुए इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। उन्होंने कहा कि सरकार लगभग 300 विद्यालयों का निजीकरण कर रही है। इससे छात्रों का भला होना तो दूर, प्रतिकूल असर होना तय है। यह शिक्षकों के साथ कुठाराघात है।
शर्मा ने बताया कि मनमानी फीस वसूलने पर नकेल कसने के लिए फीस अधिनियम का गठन किया गया। इसके लिए शिक्षा विभाग द्वारा 30 जून तक अंतिम तिथि दी गई। शिक्षा विभाग के दबाव के बाद भी इस वर्ष फीस निर्धारण नहीं किया गया। दरअसल फीस अधिनियम सरकार द्वारा फरवरी में लागू किया गया था, जो पूर्व में करना था। शर्मा ने बताया कि इस वर्ष प्रदेश की निजी शिक्षण संस्थाएं फीस का निर्धारण नहीं करेंगी।
अगर शिक्षा विभाग द्वारा इस अधिनियम को लेकर दबाव बनाया जाता है तो संगठन आंदोलनात्मक रुख अपनाकर न्यायालय की शरण में जाएगा। सरकार निजी विद्यालयों के अस्तित्व को समाप्त करने की जो नीति बना रखी है, इसे पूर्ण नहीं होने देगा और अपना संघर्ष जारी रखेगा।
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