मनीषा कोइराला का शानदार अभिनय

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Published on : 27 Jun, 17 08:06

फिल्म 'डियर माया' लीक से हटकर बनी फिल्मों को देखने के शौकीन दर्शकों को पसंद आएगी। हालांकि फिल्म का दूसरा हाफ धीमी गति से आगे बढ़ता है लेकिन कहानी सशक्त होने के नाते दर्शकों की दिलचस्पी फिल्म में बनी रहती है। निर्देशक सुनैना भटनागर की तारीफ करनी होगी कि उन्होंने एक ऐसे विषय को अपनी पहली फिल्म के लिए चुना जोकि व्यवासयिक दृष्टि से ज्यादा लाभ देने वाला नहीं है। सुनैना निर्देशक इम्तियाज अली की सहयोगी रह चुकी हैं इसलिए कई जगह इम्तियाज की छाप देखने को मिलती है।

फिल्म की कहानी माया देवी (मनीषा कोइराला) के इर्दगिर्द घूमती है। माया देवी के साथ बचपन में ऐसा हादसा हुआ था कि उसने 25 साल से खुद को घर में बंद कर रखा है और किसी से मिलती जुलती नहीं। उसे किसी पर विश्वास नहीं है और हमेशा अपने साथ खंजर रखती है। दरअसल बचपन में उसके माता-पिता की मौत के बाद उसके चाचा ने उसे काफी प्रताड़त किया और उसकी शादी नहीं होने दी। अब माया देवी अपने कुत्तों, पक्षियों और एक नौकरानी के सहारे ही अपना जीवन गुजार रही है। उसकी इस हालत को देखकर पड़ोस की एक लड़की ऐना (मदीहा इमाम) अपनी सहेली ईरा (श्रेया सिंह चौधरी) काफी परेशान रहती हैं और उसकी जिंदगी में बहार लाने का फैसला करती हैं। दोनों सहेलियां मिलकर एक योजना बनाती हैं और माया की जिंदगी में शाहरुख खान को लाना चाहती हैं। इरा के उकसाने पर माया एक काल्पनिक शख्स वेद के नाम से माया को चिट्ठियां लिखने लगती है। उन प्रेम भरे खतों से माया की जिंदगी में बदलाव आने लगता है, आखिरकार कहानी ऐसे मोड़ पर पहुंच जाती है कि माया भी वेद से प्यार करने लगती है। वह उस काल्पनिक शख्स के लिए अपना घर बार बेचकर उसकी तलाश में दिल्ली आने का फैसला करती है।


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