सलाउद्दीन ग्लोबल टेररिस्ट घोषित

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Published on : 27 Jun, 17 07:06

सलाउद्दीन ग्लोबल टेररिस्ट घोषित वॉशिंगटन। प्रधानमंत्री मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मुलाकात से ठीक पहले भारत को आतंकवाद के खिलाफ रणनीति में बड़ी सफलता मिली है। अमेरिका ने हिज्बुल आतंकी सैयद सलाउद्दीन को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित कर दिया है। साथ ही अमेरिका ने कश्मीर में हुए हिज्बुल के आतंकी हमलों का भी जिक्र किया है।
पाक प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ इसे भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत माना जा सकता है। अमेरिका की ओर से उठाया यह कदम दोनों देशों के रिश्तों को और मजबूती देने वाला साबित होगा।
सैयद सलाउद्दीन आतंकी संगठन हिज्बुल मुजाहिद्दीन का सरगना है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि बीते साल कश्मीर में हुए आतंकी हमलों में सलाउद्दीन का हाथ था और वह कश्मीर घाटी में आतंक फैलाने के मकसद से आतंकियों को ट्रेनिंग देता था।
सलाउद्दीन के संगठन हिज्बुल ने जम्मू कश्मीर में हुए कई आतंकी वारदातों की जिम्मेदारी ली थी। जिनमें अप्रैल 2014 के धमाके शामिल हैं, जिसमें 17 लोग घायल हुए थे। बयान में कहा गया है इन्हीं सभी वारदातों को आतंकवाद की श्रेणी में रखते हुए उसे अतंरराष्ट्रीय आतंकी घोषित किया गया है।
अमेरिका के इस कदम से यह साफ हो चुका है कि वह आतंकवाद के खिलाफ भारत के साथ खड़ा है। अमेरिका के इस कदम से पाकिस्तान को बड़ा झटका लगा है। भारत लगातार आतंकवादियों के खिलाफ पाक को सबूत देते आया है लेकिन पाकिस्तान ने अब तक किसी भी बड़े आतंकी पर कोई भी कार्रवाई नहीं की है।
सलाउद्दीन को इस विशेष सूची में रखे जाने का नतीजा यह होगा कि कोई भी अमेरिकी व्यक्ति सलाउद्दीन से किसी तरह का लेनदेन नहीं कर सकेगा। सलाउद्दीन की कोई भी प्रॉपर्टी जो अमेरिका में होगी वह ब्लॉक हो जाएगी।
अमेरिकी विदेश विभाग के मुताबिक सलाउद्दीन ने पिछले साल सितंबर में यह कहा था कि वह कश्मीर समस्या के किसी भी शांतिपूर्ण समाधान की कोशिश को रोक देगा। उसने कश्मीर में फिदायीन हमलावरों की ट्रेनिंग देने की धमकी भी दी थी। उसने यह भी कहा था कि वह कश्मीर घाटी को भारतीय सुरक्षा बलों का कब्रगाह बना देगा।
सलाउद्दीन की अगुवाई में हिज्बुल मुजाहिदीन ने कई आतंकवादी हमलों की जिम्मेदारी ली है। सलाउद्दीन को विशेष सूची में डालने से अमेरिकी वित्तीय व्यवस्था तक उसकी पहुंच खत्म हो जाएगी। इससे दूसरे देशों को कानून का पालन कराने वाली एजेंसियों को मदद मिल सकती है।
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