आचार्य लोकेश ने मासाहार के विरुद्ध व शाकाहार के समर्थन में वक्तव्य दिया

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Published on : 19 Jun, 17 09:06

मनुष्य प्रकृति से शाकाहारी है - आचार्य लोकेश

आचार्य लोकेश ने मासाहार के विरुद्ध व शाकाहार के समर्थन में वक्तव्य दिया अहिंसा विश्व भारती के संस्थापक व प्रख्यात जैन आचार्य डा. लोकेश ने अमेरिका की शांति सद्भावना यात्रा के दौरान न्यूयार्क के सबसे बड़े जविट्स सेंटर में ग्रीन फेस्टिवल एक्सपो में मासाहार के विरुद्ध व शाकाहार के समर्थन में लोगो की वैज्ञानिक तथ्यों से अभिभूत कराया| शाकाहार सम्मलेन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि मनुष्य प्रकृति से शाकाहारी है| उसकी आंत, दांत और पंजो की संरचना शाकाहारी भोजन के अनुरूप बनी है| मेडिकल साईन्स के अनुसार भी शाकाहार स्वस्थ्य की दृष्टि से अच्छा है| उससे शारीरिक, मानसिक और भावात्मक स्वस्थ्य ठीक बना रहता है|

आचार्य लोकेश ने कहा कि आहार और आध्यात्म का गहरा सम्बन्ध है| आहार से हमारे आचार, विचार और व्यवहार प्रभावित होते है| क्योकि आहार न केवल हमारे शरीर बल्कि मन और बुद्धि पर भी असर छोडता है| शाकाहारी भोजन मनुष्य में प्रेम, भाईचारे और दया का भाव पैदा करता है| आज विश्व युद्ध, आतंकवाद, हिंसा जैसी समस्याओं से जूझ रहा है| विश्व की बड़ी जनसँख्या मांसाहारी है जिससे उनकी प्रवृति आक्रामक हो जाती है| हमें इसके लिए आत्म संयम और शाकाहार को अपनाना होगा| आचार्य लोकेश में कहा कि शाकाहार पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है| मांसाहार से पानी का व्यय ज्यादा होता है| पर्यावरण में संतुलन बनाये रखने के लिए पशु सुरक्षा बेहद जरुरी है|

आचार्य लोकेश ने बताया कि जैन धर्म के 24 वें तीर्थंकर भगवान महावीर के अहिंसा सिद्धांत के अनुसार किसी भी प्राणी पर हिंसा नहीं करनी चाहिए| अहिंसा का पालन करना न केवल जैन धर्म बल्कि हिन्दू व बौद्ध धर्म में भी होता है| शाकाहारी होने के साथ साथ पशुओं की सुरखा करना भी महत्त्वपूर्ण है| पशुओं के लिए अस्पताल, उद्यान, जंगलों के रखरखाव के माध्यम से हम एक ओर जहाँ धर्म का पालन करेंगे वही दूसरी और पर्यावरण सुरक्षा में भी अपना योगदान देंगे|
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