महाराणाप्रतापकाजीवनदर्शनआजभीप्रासंगिक

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Published on : 28 May, 17 07:05

प्रो. के. एस. गुप्तानेदियामहाराणाप्रतापस्मृतिव्याख्यान-२०१७

महाराणाप्रतापकाजीवनदर्शनआजभीप्रासंगिक उदयपुर महाराणाप्रताफषि एवंप्रौद्योगिकीविश्वविद्यालय के छात्र कल्याणनिदेशालय द्वारावीरशिरोमणिमहाराणाप्रताप की ४७७वींजन्मजयन्ति के उपलक्ष्य मेंशनिवारदिनांक २७मई२०१७कोराजस्थानकृषिमहाविद्यालय के मुख्य सभागारमें प्रातः११.३०बजेमहाराणाप्रतापस्मृतिव्याख्यान- २०१७आयोजितकियागया । व्याख्यानसेपहलेकृषिमहाविद्यालय के प्रांगणमेस्थितमहाराणाप्रतापकीभव्य अश्वारूढ प्रतिमा के समक्ष विश्वविद्यालय केमाननीय कुलपतिप्रोफेसरउमा शंकर शर्मा के नेतृत्वव मुख्य अतिथिकोटाविश्वविद्यालय के कुलपतिप्रो.पी.के. दशोरा की उपस्थितिमेविश्वविद्यालय के वरिष्ठअधिकारीगण, छात्र कल्याणअधिकारी, महाविद्यालयों के अधिष्ठातासहितअनेकप्राध्यापक, शैक्षणेत्तरकर्मचारीसंघटन के अध्यक्ष, कार्यकारिणीसदस्य, कर्मचारी व विद्यार्थियोंनेमहाराणाप्रतापकीतस्वीरपरमाल्यार्पणकिया एवं श्रद्धासुमनअर्पितकिये।
इसअवसर एमएलएसयूसेसेवानिवृतप्रख्यातइतिहासविद् प्रो. के. एस. गुप्ता ने ’’आज के जीवन मेमहाराणाप्रतापकीप्रासंगिकता‘‘विषय परसारगर्भितव्याख्यानदिया।प्रोफेसरगुप्ता ने देश व मेवाड के इतिहासपरप्रकाशडालतेहुऐआज के आधुनिक युगतक के अनेकउदाहरण दे करबतायाकिमहाराणाप्रतापका जीवन आजभीप्रासंगिकहै, महाराणाप्रताप ने संघर्शसेभरे एक आदर्श जीवन कोजीतेहुऐहमारेआज के जीवन की अनेकअनसुलझी पहेलियों व समस्याओंकोसुलझानेकामार्गप्रशस्तकियाहै।महाराणाप्रताप ने कृषि के विकासमेभीमहत्वपूर्ण योगदानदियाहै। उनके कालमें चक्रपाणी द्वारारचितविश्ववल्लभग्रन्थमेपहाडी व चटटानीभूमिमे खेती, पानी, मिटटी की सुगन्ध के अनुसारकृषि की विधियांबताईगईहैं । उन्होंनेगौधन, गजधन व अश्वधन के सरक्षण केबारेमेंभीबताया । प्रताप के शासनकालमेंपद्मिनी, मीरा एवंपन्नाधाय परमहत्वपूर्णसाहित्य कासृजनभीकियागया ।
समारोहके मुख्य अतिथिकोटाविश्वविद्यालय, कोटा के कुलपतिप्रो.पी.के. दशोरानेअपनेउद्भोदनमेंवीरशिरोमणिमहाराणाप्रताप के जीवन परप्रकाशडालातथामहाराणाप्रतापकोसंघर्शपूर्णआदर्श जीवन को जीने वाला एक कुशलशासक एवंकुशल योद्धाबताया ।
समारोह की अध्यक्षताकरतेहुऐविश्वविद्यालय के कुलपतिप्रोफेसरउमा शंकर शर्मानेकहाकिवीर शिरोमणी महाराणाप्रतापकाव्यक्तित्व व कृतित्वहमारेलियेसदाप्रेरणास्पदरहाहै।उन्होंनेकहाकिमहाराणाप्रतापकोदेश व व्यक्ति के आत्मसम्मान, देशप्रेम, स्वतंत्रता व वीरता के लियेमेवाडहीनहींअपितुसम्पूर्णविश्वमेजानाजाताहै,देश के युवाओंकोउनसेप्रेरणालेनेकीआवश्यकताहै।उन्होंनेकहाकिप्रातःस्मरणीय वीरशिरोमणीमहाराणाप्रतापकास्वाधीनता के लियेसंघर्ष, वीरता, युद्धनीति, कूटनीति, नैतिकता व अनुशासनपुर्ण जीवन शैलीहमसभी के लियेसदैवप्रेरणास्पदरहीहैऔरमनुष्य के लिए आजभीप्रासंगिकहै।प्रतापनेअपनेकालमेंचित्रकला, स्थापत्यकला एवंसाहित्य सूत्र स्थापितकिये । उन्होनेआज के परिवेशमेंमहारणाप्रतापकीसीख काअनुसरणकरनेकाआह्रवानकिया ।
छात्र कल्याणअधिकारीडॉ.सुमन सिंह ने स्वागतभाषणदिया । कार्यक्रम के अंतमेराजस्थानकृषिमहाविद्यालय केअधिष्ठाताप्रो. आर. स्वमीनाथन ने धन्यवादज्ञापितकिया, कार्यक्रमकासंचालनडॉ. गायत्री तिवारीने किया।
मीडया प्रभारीडॉसुबोध शर्मानेबतायाकिइसअवसरपरमहाराणाप्रताफषि एवंप्रौद्योगिकीविश्वविद्यालय के अधिकारीगण, डी.आर.आई. डा. आर. ए.े कौशिक,छात्र कल्याणअधिकारीप्रो. सुमन सिंह, सीटीऐई के अधिष्ठाताप्रोफेसरएस.एस. राठौडडेयरीविज्ञानमहाविद्यालय के अधिष्ठाताप्रोफेसर एल, के मुर्डया, अधिष्ठातागृहविज्ञानप्रो. शशिजैन, मात्स्यकीमहाविद्यालय के अधिष्ठाताप्रोफेसरओ. पी. शर्मा, डीपीएमडॉ. कोठारी,वित्तनियंत्रक श्रीडी. एन. पुरोहित, क्षेत्रीय अनुसंधाननिदेशक, सहनिदेशक, क्रीडामण्डलसचिवश्रीसोम शेखरव्याससहितअनेकविभागाध्यक्ष, प्राध्यापक, शैक्षणेत्तरकर्मचारीसंघटन के अध्यक्ष, कार्यकारिणीसदस्य, कर्मचारी व विद्यार्थीउपस्थितथे।


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