खूब देखें सपने, देखेंगे तो ही साकार कर पाएंगे ः भारिल्ल

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Published on : 29 Apr, 17 20:04

हाउ टू रियलाइज युअर ड्रीम्स सेमिनार रविवार को

खूब देखें सपने, देखेंगे तो ही साकार कर पाएंगे ः भारिल्ल उदयपुर, सपने तो देखने ही होंगे। अगर सपने नहीं देखेंगे तो उन्हें सच करने का साहस कहां से और कैसे आएगा। सपनों से ही शुरूआत होती है। इच्छा जगाएंगे तो हम एंटरप्रेन्योर तैयार कर पाएंगे। ये विचार राष्ट्रीय मोटीवेशनल स्पीकर इंदिरा प्रियदर्शिनी अवार्ड से सम्मानित एसपी भारिल्ल ने यहां एक खास बातचीत में व्यक्त किए।
वे रविवार को सुखाडया ऑडिटोरियम में जैन सोश्यल ग्रुप समता की ओर से होने वाले ऐतिहासिक कैरियर काउंसलिंग एवं मोटीवेशनल सेमिनार में मोटीवेशनल स्पीकर के रूप में अपनी भूमिका निभाएंगे। उन्होंने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम एवं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जब सपनों के बारे में कहा तो मुझे अपनी बात में वजन लगने लगा कि सपने देखना बुरी बात नहीं है। पहले के जमाने में सपने देखने वालों को न सिर्फ घर वालों के ताने सुनने पडते थे बल्कि बाहर वालों के सामने भी हंसी का पात्र बनना पडता था।
उन्होंने कहा कि हिन्दुस्तान विश्व में सबसे अधिक युवा देश है। उन्होंने कहा कि सपना क्या है? असंभव सी दिखाई देने वाली चीज के बारे में सोचना ही सपना है। १९६२ में अमेरिका के राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी ने सोचा कि चांद पर जाना चाहिए। उन्होंने सपना देखा और उसे साकार किया गया। इंटरनेट के बारे में कभी सोचा ही नहीं था लेकिन आज दुनिया हमारी मुट्ठी में हो गई है। सोचने की दिशा में परिवर्तन लाएं। अभिभावकों को भी रोकें कि वे अपने बच्चों के सपने देखने पर रोक न लगाएं। कहावत है कि जितनी चादर लम्बी हो, पैर उतने ही पसारें लेकिन मेरा यह मानना है कि पैरों को सिकोडो मत, दम है तो चादर लम्बी कर लो। आज से दस वर्ष पूर्व मैं भी सोचता था कि मुझे भी लोग सुनें, बुलाएं। सपना तो मैंने देखा लेकिन इसे साकार भी किया। मोटीवेशन तो अंदर से ही आता है। आप किसी को इंस्पायर कर सकते हैं उससे मोटीवेशन तो उसके अंदर से ही आएगा।
उन्होंने कहा कि सपनों का मतलब निराशा नहीं बल्कि रोमांच है, एक उत्साह है। उत्साह से काम करें निश्चित रूप् से आफ सपने पूरे होंगे। काम कहीं भी करें लेकिन आपकी परफॉर्मेंस बताएगी कि आप कहां पहुंचेंगे। एप्पल के संस्थापक स्टीव जॉब्स का मानना था कि दुनिया की भीड में अपने अंदर की आवाज को खोने मत दो। जो सब कहते या करते हैं, वह मत करो। अपने अंदर की आवाज सुनो और वही करो। वक्त कम है, जंजाल बहुत हैं। काम करो और आगे बढो। उन्होंने कहा कि कल सेमिनार में अपने सपनों को साकार करने के तरीकों पर ही बात करूंगा। इस सेमिनार में १५०० से अधिक रजिस्ट्रेशन हो चुके हैं।
जेएसजी समता के अध्यक्ष एवं सेमिनार के संयोजक अरूण माण्डोत ने बताया कि सेमिनार में आने वाले प्रत्येक प्रतिभागी बच्चों के लिए व्यवस्था की गई है ताकि वे इसे हर हाल में अटैंड कर सकें। बातचीत के दौरान जिनेन्द्र शास्त्री, डॉ. सुभाश कोठारी, राकेश नंदावत आदि भी मौजूद थे।


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