आखातीज पर व्यापारियों ने जाने शगुन

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Published on : 29 Apr, 17 11:04

बाड़मेर/ आखातीजके अवसर पर चीदरियों की जाल स्थित निवास पर एकत्रित होकर परंपरा के अनुसार अक्षय तृतीया का उत्सव मनाया। जिला अनाज व्यापार संघ व्यापारी प्रकाश चंद, रिखबदास संकलेचा ने बताया कि परंपरा अनुसार अक्षय तृतीया का उत्सव मना शगुन, बारिश एवं सुकाल की संभावनाओं पर विचार विमर्श कर मनाया। अनाज व्यापार के कैलाश कोटडिया ने बताया कि जिला अनाज व्यापार के वरिष्ठ व्यापारी संरक्षक चिंतामनदास कोटडिया, संपतराज बोथरा, पारसमल संकलेचा, नारायणदास, प्रभुलाल मालू, श्रवण कुमार माहेश्वरी, बाबूलाल संकलेचा, प्रकाशचंद संकलेचा, हंसराज कोटडिया, जिला अनाज व्यापार संघ के अध्यक्ष रमेश पारख एवं समस्त पदाधिकारी सहित गौतम चमन, बाबूलाल मालू, पुखराज संकलेचा आदि कई व्यापारी मौजूद थे।
ऐसेजाने अकाल-सुकाल के शगुन : सबसेपहले मिट्टी की 5 छोटी-छोटी कुंडी बनाई गई, उसमें पानी डाला गया और अलग-अलग कुंडली को अलग-अलग महीने जेष्ठ, आषाढ़, सावन, भादवा और अश्विनी के नाम दिया। जो कुंडी पहले टूट के पानी निकल जाता है सब से पहले उस महीने में बारिश होने की संभावना व्यक्त की जाती है। एक बर्तन में पानी डाल कर काली सफेद ऊन डाली जाती है। जो डूब जाती है उसी अनुसार सुकाल और अकाल की भावना व्यक्त की जाती है। साथ ही बाजरा मूंग मोठ गंवार तिल की ढेरी की जाती है। उसके ऊपर गुड़ रखा जाता है। अलग-अलग भावों की चिट्ठी डाली जाती है जिस पर्ची पर मक्खी बैठती है उस के भाव की संभावना व्यक्त की जाती है। इस प्रकार परंपरा से एक दूसरे की मान मनवार ठंडाई सुखा मेवा मिठाइयां फल आदि का वितरण कर हर्षोल्लास से उत्सव मनाकर पूर्ण करते हैं। गत कई सालों से इस प्रकार का पर्व अलग-अलग जगह पर मनाया जाता है।
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